चलो चांद मुबारक करते हैं

चलो चांद मुबारक करते हैं

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prem bajaj
prem bajaj 20 Apr, 2022 | 1 min read




चलो आज चाॅंद के पार चले फिर से, एक- दूजे को चांद मुबारक करें फिर से,

नया कोई सपना बुने फिर से, तुम खो जाना मेरी ऑंखो में, 

मैं सो जाऊं तेरी बाहों में, नींद से ना जगाना फिर से।


हौले से थपथपाना फिर से, आ जाएं गेसू जो मेरे चेहरे पर

 हल्के हाथों से हटाना फिर से, उन्नीदीं पलकें लिए जो 

मैं उठ जाऊं, अपने सीने पे सुलाना फिर से, चलो एक- दूजे को चांद मुबारक करें फिर से।



उस एकान्त पल में जो मैं कुछ कहने को खोलूं लब,

 रख उन पर अपने लबों को चुप कराना फिर से।

तेरा दिल सुने मेरे दिल की आवाज़ कुछ इस तरह धड़कन को धड़कन से मिलाना फिर से।


 मैं सुनूंगी तेरी सब बातें, बस वही सब वादे दोहराना फिर से, 

कभी चूमना पलकों को, कभी नज़रों से पीना हुस्न को,

 कभी लबों का रस चुराना फिर से, चलो एक- दूजे को चांद मुबारक करें फिर से।



छोड़ दुनियां की फ़िक्र समां जाएं एक-दूजे में, 

इस तरह अपने आगोश में भरके प्यार जताना फिर से, 

तुम्हारे जादुई छुअन से तड़प उठे मेरा रोम-रोम, तेरी 

सांसों की महक से हो जाऊं मदहोश,ऐसा अपने प्यार का जाम पिलाना फिर से।


खाई थी जो कसमें हमने, अपने वादों पर अब भी कायम हैं,

 सात जन्मों तक मिलते रहे यूं ही बन के धरती- अम्बर, इसकी कसम खाना फिर से,

 जब तक चले सांसें तेरी, बस तक रहे जिंदगानी भी 

मेरी, बस रब से है यही दुआ फिर से, चलो एक- दूजे को चांद मुबारक करें फिर से।



प्रेम बजाज©®

जगाधरी ( यमुनानगर)


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