आज के समय में देश में भ्रष्टाचार कूट-कूट कर भरा है, हर कोई सिर्फ अपना उल्लू सीधा करना जानता है, कहीं व्यापार में काला- बाजारी तो कहीं नौकरियों में धांधले बाजी, कहीं राजनीति में भ्रष्टाचार फैला है, कहीं किसी को कोई फाइल पास करवानी है तो रिश्वत, कहीं स्कूल में बच्चे का दाखिला हो या अस्पताल में इलाज कराना हो, या कोई सरकारी या ग़ैर सरकारी काम हो हर जगह भ्रष्टाचार फैला ह
सभी के मुख पर यही होता है कि सरकार कुछ नहीं करती, लेकिन सरकार के नियमों का पालन भी तो होना चाहिए, सरकार जो नियम लागु करती है, क्या कोई उस पर अमल करता है। इसी का उदाहरण नायक फिल्म में दिखाया गया।
अनिल कपूर की नायक पिक्चर एक संदेश देती है आज के ऊंचे ओहदे पर बैठे राजनितिज्ञों को, एक संदेश है पथभ्रष्ट लोगों के लिए, एक संदेश जनता के लिए भी देती है ये पिक्चर कि नेता वो चुनो जो सही हो, अगर सही नेता पर कोई पथभ्रष्ट लोग अन्याय करें तो उस नेता का साथ दो, ना कि अपनी-अपनी छतरी लेकर भाग निकलो। बारिश से भीगने के लिए अपनी छतरी खोलना तो सभी को आता है , इनसां वहीं जो दूसरों को बारिश से बचने के लिए अपनी छतरी इस्तेमाल करें।
जिस तरह उस पिक्चर में अनिल कपूर ने एक दिन का सी.एम. बन के बहुत कुछ सुधारा था और पथभ्रष्ट लोगों को सीधा राह दिखाया, जिसकी वजह से लोगों ने उसे पसंद किया । लेकिन जब अपने माता-पिता के हत्यारे सी. एम. को मारने जाता है, और उसे सी.एम. बनने के वक्त ली गई शपथ याद आ जाती है, कि वो हर हाल में सबकी रक्षा करेगा तो उसे छोड़ देता काश मैं होती तो वही पर उसका खात्मा कर देती।
काश मुझे भी ऐसा एक मौका मिलता मैं भी अनिल कपूर की तरह देश के लिए कुछ कर पाती, देश से भ्रष्टाचार को खत्म कर देती, अपने - पराए का भेद भाव मिटा कर सबको भाईचारे में बांध पाती।
"बस इतना सा ख़्वाब है"
प्रेम बजाज
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