फिर वही बातें दोहराते हैं ( unique love)

प्यार कभी बुढ़ा नहीं होता, इन्सान कितना भी बुढ़ा हो ।

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 626
prem bajaj
prem bajaj 07 Sep, 2021 | 1 min read

 


सुनो ना, आज फिर से वही यादें दोहराते हैं,  चलो कुछ पुराना सा फिर से गुनगुनाते हैं।


 याद करो वो पल, छत पर चांद को निहारते हुए,  चांदनी में दो बदन नहाते हुए, करते थे बातें चांद के पार जाने की,

सपनों का वितान बुनते हुए खो जाते थे एक-दूजे की ऑंखों में।                      सीने पे रख कर सर तुम्हारे मूंद ली थी ऑंखें मैंने,

 तुम भर कर बाहों में मुझे लगे थे गुनगुनाने, तुम्हारी शरारती नज़रें चूम रही थी तन-बदन मेरा।


 लबों पे जब रखे थे तुमने लब अपने, कुछ कहने को जब लबों मैंने खोले थे, कुछ ना कहना तुम धीरे से बोले थे।


दिल की धड़कन भी तेज़ रफ़्तार से दौड़ रही थी,   तुमने सुना था ना वो तुमसे जो कह रही थी, धड़कने कर रही थी बातें धड़कनों से, सांसें सांसों का जायज़ा ले रही थी।


जब लिखा था नाम अपना लबों से कस्तुरी पर मेरी।                           सौंप कर खुद को तुम्हारी बांहो में, पीने लगी मैं जाम तुम्हारे प्यार के, तुमने भी हुस्न को पिया था अंजुली भर-भर के।


 शरमा कर नैन मूंद लिए थे तब मैंने,      प्यार का किया श्रृगांर तुमने मेरा अपने हाथों से, एक-एक अंग को प्यार से सहलाया था।


जब आप गए थे सुर्ख गालों पे गेसूं मेरे,    हल्के से तुमने हाथों से अपने हटाया था,     उन्नीदीं पलकें लिए उठी जब मैं, फिर से सीने पे अपने तुमने बुलाया था।


तब पायल ने भी मेरी पुरज़ोर शोर मचाया था,  लाख रोका उसे टोका, मिन्नतें भी की,       ना मानी खनक कर सुना दी सबको हमारी प्रेम कहानी।


 जोश जवानी का था, खेल मस्त कहानी का था, पाकर एक-दूजे को एक-दूजे में खोना था,    हमें एक-दूजे का जो होना था,           समा गए जब एक- दूजे में हम, तब शर्म के लिए ना कोई कोना था।


 देखा खिला-खिला चेहरा सुबह, बीती रात का हाल पढ़ रहे थे सब मेरी ऑंखो में,        चेहरे पे निशान तेरे लबों के कह रहे थे कहानी मेरी रात की।


खाई थी कसमें बन के धरती-अम्बर मिलते रहेंगे सदा-सदा हम,                       जब तक चले सांसें तेरी, तब तक रहे ज़िन्दगानी भी मेरी,                          चलो फिर से वही कसमें-रस्में दोहराते हैं,        चलो फिर से वही बते दोहराते हैं।


हो जाती हूं रोमांचित जब याद आती है उस रात की,                            चलो फिर से वही रात, वही बात दोहराते हैं, तुम बन जाओ दूल्हा फिर से हम दुल्हन बन जाते हैं।




प्रेम बजाज©®

जगाधरी ( यमुनानगर)




0 likes

Support prem bajaj

Please login to support the author.

Published By

prem bajaj

prembajaj

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.