नो डाइवोर्स, हैप्पी लाइफ

थोड़ी सी समझदारी दिलाती तलाक से लम्बी दूरी

Originally published in hi
Reactions 0
400
prem bajaj
prem bajaj 24 Jun, 2022 | 1 min read




हिन्दू संप्रदाय में 16 संस्कारों में विवाह संस्कार एक महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है।

जब कोई स्त्री यज्ञ वेदी पर अग्नि को साक्षी मानकर किसी पुरुष से विवाह करती है तब वह उस पुरूष की अर्धांगिनी बन जाती है, अर्थात पुरुष का आधा अंग।

पुरुष का स्त्री पर एवं स्त्री का पुरूष पर पुर्ण अधिकार हो जाता है, दुःख-सुख, धर्म-कर्म और पाप-पुण्य के भागीदार और साथी होते हैं।


विवाह का अर्थ और महत्व धर्म के अनुसार सन्तान उत्पत्ति कर समाज में मानव जाति को आगे बढ़ाना भी है। जिसमें दो विपरीत चरित्र के लोग मिलते हैं तो उनमें प्रेम का रिश्ता पनपता है।

मर्यादा के अनुसार पति-पत्नी ही इसके वैध अधिकारी है। विवाह स्त्री-पुरुष को साथ रहने और शारीरिक संबंध स्थापित करने एवं सन्तान उत्पत्ति का वैध अधिकार देता है, जो उनकी सम्पत्ति का वारिस कहलाया जाता है।

विवाह सात फेरे और सात वचन से बंधा पवित्र रिश्ता है। विवाह हर धर्म और संप्रदाय में प्रसांगिक है, यदि विवाह ना हो तो अत्याधिक व्यभिचार हो जाए। 


 विवाह का अर्थ ज़िम्मेदारी से भी है, पुरुष जिस स्त्री को ब्याह कर लाता है, उसके खान-पान, रहन-सहन की ज़िम्मेदारी उसे ही निभानी होती है । लेकिन आज की तेज़ रफ़्तार और मशीनी ज़िंदगी में इस रिश्ते की डोर कहीं कमज़ोर पड़ती नज़र आ रही है।


आज का पुरुष विवाह की ज़िम्मेदारी से बचने के लिए लिव-इन-रिलेशन को प्राथमिकता देने लगे, जिसमें ना कोई बंधन, ना रिश्ते का नाम एवं और ना ही वचन, ऐसे रिश्ते में वचन के कोई मायने नहीं रह जाते। ये संबंध व्यभिचार से भरे समाज को जन्म दे रहा है।

 हमारे समाज में आधिपत्य केवल पुरुष का है, हर फैसले का हक पुरुष का, यहां तक कि अगर किसी वजह से पति-पत्नी का रिश्ता सुचारू रूप से नहीं चल पाता और नौबत तलाक तक आ जाती है तो भी तलाक का हक पुरुष का , स्त्री हक से तलाक तक नहीं ले सकती, हमारे समाज में जहां लड़कियों में आत्मविश्वास ही नहीं होता, वहां वो हर रिश्ते में दबी-दबी रहती है, और उनके सम्मान को कुचल दिया जाता है। 

आज के युग में हम कितनी भी महिला सशक्तिकरण की बातें कर लें, कितना भी कह लें कि आज की स्त्री पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती है, मगर ये सब कहने की बातें हैं, मात्र ढोंग हैं।

तलाक के कारण


तलाक का मुख्य कारण सामंजस्य की कमी, सहनशीलता की कमी, विश्वास की कमी, अहम भावना का होना, दूसरों की देखा देखी अपनी हैसियत से बढ़कर दिखावा करना, रिश्तेदारों का अत्याधिक दखलअंदाजी करना इत्यादि मुख्य कारण है, जिनकी वजह से अक्सर तलाक की नौबत आ जाती है।


#पुरुष के दुःख में यदि स्त्री उसकी सेवा-शुश्रूषा करती है तो उसका धर्म माना जाता है, लेकिन जब वही पुरुष पत्नी के दुःख में उसकी सेवा-शुश्रूषा करता है तो उसे जोरू का गुलाम की संज्ञा दी जाती है, परिवार जन या अन्य रिश्तेदार इसी तरह के ताने मार कर‌ पति-पत्नी के गृहस्थ जीवन में दखलअंदाजी करते हैं, और पुरुष अहम स्वभाव में आकर पत्नी की मदद ना करके आपसी रिश्तों में खटास का कारण पैदा करता है।

पति की तीमारदारी करना पत्नी का धर्म है, तब पत्नी की तीमारदारी करना क्या पति का धर्म नहीं?


#दूसरा आजकल शो-ऑफ का ज़माना है, स्त्री की किसी सहेली के पास अच्छी बड़ी कार है, गहने हैं, या उनके बच्चों के पास ढेरों मंहगे-मंहगे खिलौने हैं, घर में नौकर-चाकर की फौज है, तो भी पति से वही चाहती है, लेकिन अगर पति की पाकेट ये सब खर्च वहन नहीं कर पाती, जब बात तू-तू, मै-मैं से बड़े झगड़े और झगड़े से तलाक तक पहुंच जाती है।

इसी तरह पति भी कई बार पत्नी से कुछ अत्याधिक अपेक्षाएं रखते हैं, जब पत्नी उनकी अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरती तो नौबत तलाक तक आ पहुंचती है, बर्दाश्त करना या सामंजस्य बैठाना रिश्तों में, आज के समय में किसी को नहीं गवारा।


कहीं पर पति सती-सावित्री एक साधारण सी घरेलू महिला( जो केवल बच्चे पैदा करे, पाले और बुजुर्गो की सेवा करें और घर की दहलीज तक ही सीमित रहे) की अपेक्षा रखता है, जो कि आज की पढ़ी -लिखी नारी बंध कर नहीं रह सकती।


#कहीं पर यदि घर चलाने में पति की इंकम से गुज़ारा नहीं होता तो अगर पत्नी कोई नौकरी या कोई छोटा-मोटा काम करके हाथ बंटाने के लिए कहती हैं तो पति का अहम आढ़े आ जाता है।

#कहीं अगर पत्नी नौकरी करती है और पति से अधिक कमाती है, तो भी पति के स्वाभिमान को ठेस पहुंचती है।


#कहीं अगर लड़का- लड़की प्रेम विवाह करना चाहते हैं और माता-पिता नहीं मानते और उनकी शादी जबरदस्ती दूसरी जगह करवा दी जाती है, जिसमें से 10 % लोग तो स्थिति को स्वीकार कर लेते हैं मगर 90% लोग आपस में सामंजस्य नहीं बैठा पाते, कारण वो वहां शादी करना ही नहीं चाहते थे तो कोई ना कोई कारण बनाना चाहते हैं, यह दर्शाने का कि हमारा चुनाव ही सही था, और आपका गलत। इस तरह मजबूरन कभी-कभी खुद मां -बाप को तलाक कराना पड़ता है।


#कहीं कोई दहेज की लालच में लड़की को अत्याधिक प्रताड़ित करते हैं, जब लड़की के माता-पिता मांग पूरी नहीं कर सकते तो मजबूरन उन्हें खुद ही तलाक कराना पड़ता है।

#कहीं सेक्सुअल ह्रेसमेंट भी तलाक का कारण बनता है, स्त्री की मर्ज़ी के खिलाफ हर रात उसके तन का भोग करना या अन्य किसी ग़लत तरीकों( अर्थात कष्टदायक तरीके) से सेक्स करना, या कहीं मर्द का स्त्री को सेक्स की पूर्ति ना कराना( अर्थात तन-सन्तुष्टि ना मिलना) कहीं पर स्त्री का बांझपन अर्थात स्त्री तन में कोई कमी हो जिस कारण वो मां ना बन सके, इन्हीं कारणों से भी तलाक की नौबत आ सकती है।

 इन्हीं कारणों से कभी-कभी कोई स्त्री या पुरुष अपने साथी से जब सन्तुष्ट नहीं होते और वो दूसरे पुरुष या स्त्री से शारीरिक संबंध बनाने लगते हैं तो जीवनसाथी को बर्दाश्त नहीं होता और तलाक तक बात आ जाती है।


#कहीं स्त्री अमीर घर से आई है और ससुराल वाले उनकी बराबरी के नहीं, और वो अगर एडजस्ट नहीं कर पाती, उसकी हर ख्वाहिश पूरी नहीं होती, उसे रहन-सहन में अपने मुताबिक कमी गलती है, जो उसे बर्दाश्त नहीं, वो अपने स्टेटस के हिसाब से रहना चाहती है, तो वह तलाक लेने को उतारू हो जाती है।


भारत अपनी संस्कृति और सभ्यता के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध हैं, हमारे देश में स्त्री को देवी अर्थात उच्च स्थान दिया गया है, पुरातन युग में भी स्त्री को प्रथम दर्जा दिया गया जैसे *सीता-राम,राधा-कृष्ण* इत्यादि।


महाभारत में भीष्म पितामह ने भी कहा कि स्त्री को खुश रखो, इससे वंश की वृद्धि होती है। स्त्री गृहलक्ष्मी होती है,यदि पत्नी खुश है तो घर में लक्ष्मी आती है।


अगर पत्नी किसी दुःख में है और पति उसकी कोई सहायता नहीं करता तो वो खुश कैसे रह सकती है??


पति-पत्नी एक-दूसरे के पूरक हैं, कोई राजा-रानी या गुलाम नहीं, दकियानूसी विचारों का त्याग करके, एक- दूसरे का दुःख-सुख में साथ निभाना ही सुखी जीवन का मूल-मंत्र है।

तलाक होने के इस तरह बहुत से कारण हैं, मगर तलाक ना हो इसके लिए थोड़ी सी समझदारी, आपसी तालमेल, थोड़ा सा सामने वाले के प्रति झुकाव, थोड़ा प्यार, एवं किसी को किसी की पर्सनल लाइफ में दखलअंदाजी ना करना, और ना किसी की ग़लत दखलंदाजी सहना। एडजस्टमेंट ही सबसे बड़ा गुण है एक सफल और सुखी जीवन का।





प्रेम बजाज ©®

जगाधरी ( यमुनानगर)

0 likes

Published By

prem bajaj

prembajaj

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.