कौन है तेरी आंखों में

शिकवा

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 670
prem bajaj
prem bajaj 22 Mar, 2022 | 1 min read



कौन है तेरी आंखों में बसा, किस के दिल का तुम पर इख्तियार है, क्यों हर पल आंखें तेरी क्यों नशे में झूमा करती हैं, क्यों ये लेती हैं रिश्वत नज़रों की, क्यों ये मय के प्यालों से मिला करती है।


मिलकर मय से ये अपना नशा भी मय में उंडेल दिया करती हैं। रह कर आगोश में मेरे क्यों दिल तुम्हारा किसी रकीब के लिए धड़का करता है, क्यों तू छोड़ मुझे किसी रकीब की तलब करता है।


मैं हर पल तेरी जुस्तजू किया करती हूं, बस इक तेरे नाम पे ही मार और जिया करती हूं, तुझ पर मरते-मरते मरने की तमन्ना किया करती हूं।


इब्तिदा-ए-इश्क ना देख मेरा, जहां रखे तु कदम मैं दिल बिछाया करती हूं, पीने को तेरे मैं मय बन जाता करती हूं, घुल कर मय में तेरे होठों से लगा जाया करती हूं।


पी जाए तू मुझे कतरा-कतरा, बिखर जाऊं तेरी राहों में, हो जाऊं चाहे बर्बाद तेरे इश्क में, नहीं चाह बनूं तेरे माथे का तिलक, बस इतनी सी ख्वाहिश है, गिरा देना बेशक कदमों में तू, मगर नज़रों से ना गिराना कभी, इन आंखों पर हक है मेरा, इसमें किसी ग़ैर को ना बसाना कभी।


प्रेम बजाज ©®

जगाधरी ( यमुनानगर) 200

0 likes

Support prem bajaj

Please login to support the author.

Published By

prem bajaj

prembajaj

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.