हनुमान जयंती
न्यां मघाभिधे
नक्षत्रे स समुत्पन्नो हनुमान रिपुसूदन
महाचैत्री पुर्णीमायां समुत्पन्नो अंजनीसुत
वदन्ति कल्पभेदेन सुधा इत्यादि केचेन
हनुमान जयंती का दिन हनुमान के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है जो चैत्र शुक्ल एकादशी के दिन मघा नक्षत्र में भक्त शिरोमणि, भगवान् राम के अनन्य स्नेही, शत्रुओं का विनाश करने वाले हनुमान जी का जन्म हुआ।
कुछ विद्वानो के मतानुसार पुर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ।
अर्थात उनके अनुसार अश्विन शुक्ल पक्ष, स्वाति नक्षत्र मंगलवार चतुर्दशी को मेष लगन में अंजनी के गर्भ से शिव ने अवतार लिया।
इत्तेफाक से कल पुर्णिमा, स्वाति नक्षत्र मंगलवार ही है।
हिन्दू धर्म के अनुसार हनुमान जी को शिव जी का ग्यारहवां रूप भी माना जाता है। ग्रंथो में शिव के इस अवतार से पहले मन्यु, मनु, महिनष, शिव, ऋतुध्वज, उग्ररेता, भव , काल, वामदेव और धृतव्रत ये दस अवतार बताएं गए हैं।
गोस्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान जी को साक्षात् शिव बताया है।
आनन्द रामायण में हनुमान जी को राम का सगा भाई बताया गया है।
इस कथा के अनुसार ब्रह्म लोक की सुवर्चना नामक अप्सरा ब्रह्मा के शाप से गृध्री हुई थी, और जब राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ में जो फल कैकयी को खाने को दिया, उसे यह गृध्री कैकई के हाथ से छीनकर उड़ गई, और इसकी चोंच से वह हाव्यांश अंजना की गोद में गिर गया।
जिसके खाने से वन राज कुंजन की पुत्री, केसर की पत्नी ने खा लिया और अंजनी के गर्भ से हनुमान जी का पारकट्य हुआ, गृध्री को ब्रह्मा जी ने शाप मुक्ति के लिए कहा था कि जब राजा दशरथ पुत्रेष्टि यज्ञ का हव्य वितरण करेंगे तो तुम कैकई के हाथ से फल छीनकर उड़ जाना, तुम वो फल ग्रहण तो नहीं कर सकोगी, मगर तुम्हें शाप से मुक्ति मिल जाएगी। और गृध्री शाप मुक्त हो कर फिर से अप्सरा बन गई।
हनुमान जी अपार बलशाली होने के साथ-साथ वीर, साहसी, विद्वान, सेवाभावी, स्वामीभक्त, विनम्रता, कृतज्ञता और निर्णय क्षमता के स्वामी थे, हनुमान जी को भक्ति और शक्ति का बेजोड़ संगम माना गया है। वे अपनी निष्काम सेवा भक्ति के बल पर ही पूजे जाते हैं। उनके समान भक्ति सेवा का उदाहरण अत्यन्त दुर्लभ है।
आइए हनुमान जयंती पर इस आपदा के विनाश के लिए प्रार्थना करें 🙏
" राम के भक्त हो, अंजनी के लाल हो,रूद्र का अवतार हो,
दुर्जनों का काल हो,निर्बलों की आस हो, संकट ना फटकने देते पास हो,
जब भी भीड़ पड़ती भक्तों पर , सुनते अरदास हो,
कहते सब दुखभंजन तुमको, दुखों को तुम रहते हो,
हर दो दुःख हमारे हम पर दया करो प्रभु, तेरे गुण गा रहे, चरणों में शीश झूका रहे'!
प्रेम बजाज ©®
जगाधरी ( यमुनानगर)
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