लेखक कौन है
लोग कहते हैं हम लिखते हैं,
क्योंकि हम लेखक हैं,
हां हम लेखक हैं, लिखता है लेखक, बंद होंठों की भाषा,
लिखता है लेखक मन के दबे अरमानों की परिभाषा,
लिखता है लेखक दबे जज़्बात,
जब कोई कह ना सके कुछ, ना दिखा सके ज़ख़्म अपने दिल के,
रिसते हो ज़ख्म जब,
उठती हो टीस जब ज़ख्मों को छुने से,
हां जब ऐसे हो जाएं हालात,
तब लिखता है लेखक लेकर कलम अपने हाथ,
जब समाज कोई होता है किसी प्रताड़ना से प्रताड़ित,
तो लेखक लेकर सहारा कलम का उजागर करता है उसका वो जलता अन्तर्मन,
चीर कर रख देता है सीना, छलनी कर देता है दिल को पढ़ने वाले के,
लेखक ऐसी कलम चलाता है, बड़े-बड़ो के तख़त हिलाता है,
जब भी किसी देश पर विकट संकट जाता है, तो लेखक अपनी कलम का जादू दिखाता है,
भर कर हिम्मत और हौंसला आम, सीधी-सादी, भोली-भाली जनता में,
वो अपनी कलम से क्रांति लाता है,
कल्पनाओं की उड़ान भरता है लेखक,
भर सपनों की उड़ान वो लगा कर पंख कल्पनाओं के सपनों को साकार करने की कोशिश का संदेश देता है लेखक,
इसलिए तो स्वप्नद्रष्टता कहलाता है लेखक,
स्वप्नद्रष्टता के साथ कर के कल्पना भविष्य की भविष्यद्रष्टता भी होता है लेखक,
समाज का एक अभिन्न अंग होता है लेखक,
करता है कद्र कलम की किसी भी हालात में कभी ना बिकता सच्चा लेखक,
पाठक के मन की गहराई तक पहुंच जाता है लेखक,
पाठक के मन के भाव भी कर के कल्पना लिख देता है लेखक,
कभी हास्य तो कभी गम्भीर, कभी सामाजिक विषयों को लेखनी द्वारा उजागर करता है लेखक,
गहन अनुभूति और सजग प्रक्रिया से प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष घटनाओं को लेखनी द्वारा प्रकट करता लेखक,
हां वो एक लेखक ही है, जो मूक की ज़ुबां भी बन जाता है,
किसी के अनकहे शब्दों को दिल के दबे अरमानों को, अहसासो को,
दिल के कागज़ पर आंसू की स्याही से लिखा डालता है लेखक।
समाज और साहित्य संगम अटूट बंधन में बंधा होता है लेखक,
बहुत ही संवेदनशील मन का होता है लेखक,
समाज को नई राह दिखाता, समाज का पथ-प्रदर्शक होता है लेखक।
प्रेम बजाज ©®
जगाधरी ( यमुनानगर)
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