रखना यूं ही सदा इश्क की निशानी बना कर, मुझे अपने दिल की सुन्दर कहानी बना कर, प्यार बेशक जिस्मानी हो ना हो, रखना इसे रूहानी बना कर।
हाथ में हाथ इस कदर थामे रखना, हाथों से जो बनाए हैं दिलों के निशां, उन निशानों को यूं ही सजाए रखना, यूं ही ता- उम्र रहम-ओ-करम बनाए रखना।
नहीं चाहत चांद-सितारों की अपने प्यार से मांग मेरी सजाए रखना, ले हाथों में हाथ यूं कसमें- वादे निभाए रखना।
नहीं तमन्ना महलों की, तेरे दिल में मिल जाए जगह काफी है, सीने पे तेरे रख कर सर मैं सो जाऊं, हो ना सर पर छत, तेरा साया काफी है।
है वादा तेरे लिए ज़हर भी पी लूंगी मैं, बस तेरे लिए ही जिऊंगी-मरूंगी मैं, हर सांस में तेरा ही नाम रटुंगी मैं।
तुझपे जान भी कुर्बान कर जाऊंगी, इस कदर प्यार में हद से गुज़र जाऊंगी, बन कर मीरा तेरी मैं तेरी दीवानी कहलाऊंगी।
प्रेम बजाज ©®
जगाधरी ( यमुनानगर)
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