गज़ल

जी चाहता है

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prem bajaj
prem bajaj 05 Feb, 2021 | 1 min read



 जी चाहता है तुझे चांदनी से नहलाएं आज हम

  मांग तेरी चांद - सितारों से सजाएं आज हम।


सांस - सांस में भर दे प्रेम की मदिरा इस कदर

 कि प्रेमामृत रस से तुझे नहलाएं आज हम ।


इक बार तो लग जाओ सीने से मेरे आ जाए करार

दिल चीर कर तस्वीर आपकी दिखाएं आज हम ।


कहते हैं लोग नशा लेकर घुमते हो तुम हमेशा

तेरे इन नशीले नयनों में डूब जाएं आज हम ।


तेरी प्यारी- प्यारी सूरत ने वो कमाल कर दिया

चल गया तेरा जादू दिवाने कहलाएं आज हम ।


आगोश में मेरी तुम खो जाओ जाना इस तरह

कि किसी को भी नज़र ना आ पाएं आज हम


तड़प रहा है "प्रेम" आ जाओ अब और ना सताओ

कहीं तेरी जुदाई में बेमौत ना मर जाएं आज हम ।



प्रेम बजाज


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