बस यूं ही तू मुझ पर मोहब्बत बन कर बरसती रहे, तो मैं भी बन बादल छा जाऊं तुझ पर।
लेकर आगोश में तुझे अपने प्यार की तपिश दे दूं, आ तेरे लबों पर अपने लबों से मैं इश्क लिख दूं।
तन को तन का साथ मिले, मन से मन दूर ना हो, धड़कने धड़का करें एक साथ हमारी, दूर रहने को एक पल भी मजबूर ना हों।
लिख कर तेरी कस्तूरी पर नाम अपना, आ तुझे प्यार दूं, तु रख सर अपना मेरे सीने पर मुझे करार दे।
रूह को रूह में बसा लें हम इस कदर, दो जिस्म एक जान बन जाए हम, तु बन कर लता लिपट जाए मेरे वृक्ष तन से, मिल जाए हम इस कदर।
कतरा-कतरा तु पिए इश्क मेरा, घूंट -घूंट तुझे पीता रहूं मैं , इश्क की मय ना खत्म हो कभी, इस कदर एक- दूजे पर इश्क बरसाए हम।
तुम बन जाओ शमां मैं परवाना बन जल जाऊं तेरी लौ में, मैं बन जाऊं दिया, तु बाती बन जले मुझ में।
पिघला शीशा बन कर बिखर जाए तु, तुझे हाथों में अपने मैं समेटा करूं, तु बने आइना मेरा, तुझे खुद में मैं देखा करूं, आ इस कदर तुझसे मोहब्बत करूं।
प्रेम बजाज ©®
जगाधरी ( यमुनानगर)
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