सम्पूर्ण होकर भी अधूरी

औरत की कहानी

Originally published in hi
Reactions 1
391
prem bajaj
prem bajaj 03 Apr, 2022 | 0 mins read






कहते हैं लोग नारी की सोच नर से है, कभी किसी ने सोचा है, नारी ने ही नर को बनाया है, फिर क्यों कहते कमज़ोर नारी की काया है।


माना कि झुक कर स्वीकार करती है वो, जो सोच देता नर, उसी पर चलती है वो, होने पर भरपूर के बावजूद खाली खुद को दर्शाती है वो।


लगे ना नर के अहम को ठेस जिस सोच पर चलाता नर उसी पर चलती है वो, करती सब कुछ कबूल क्योंकि उसके प्यार में पिघलती है वो।


होते हुए नदी विशाल धरा सी प्यासी रहती है वो, मिल जाने को समुद्र में उत्तेजित रहती है वो, पीकर नर के इश्क का जाम मोहब्बत में सराबोर रहती है वो।


लुटाती सब पर जो बेइंतहा मोहब्बत, खुद मोहब्बत की तड़प में तरसती है वो,उंडेल देता जब पुरुष खुद को उस पर, उसके लिए लुट जाती है वो।


लेकर उसका वजूद उसको लौटाती है वो, होते हुए सम्पूर्ण भी अधूरी रहती है वो।




प्रेम बजाज ©®

जगाधरी ( यमुनानगर)

1 likes

Published By

prem bajaj

prembajaj

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.