गे

समलैंगिकता

Originally published in hi
Reactions 2
425
prem bajaj
prem bajaj 12 Jul, 2021 | 1 min read



समलैंगिकता का अर्थ है किसी व्यक्ति का समान लिंग के प्रति यौन एवं रोमांचकारी आकर्षण, जिसे होमोसेक्सुअल कहा जाता है।


यदि पुरुष, पुरुष की ओर आकर्षित होता है उसे पुरुष समलिंगी या गे कहा जाता है, जिसका अर्थ है, लापरवाह, हंसमुख,या उज्जवल और दिखावटी।


 यह शब्द मुख्यत पुरूषों के लिए इस्तेमाल होता है, मगर समलिंगी स्त्रियां भी खुद को गे पुकार सकती है।


 लेकिन स्त्री, स्त्री के प्रति आकर्षित होती है तो उसे स्त्री समलिंगी, या लेस्बियन कहते हैं।

 यदि पुरुष और स्त्री दोनों तरफ कोई आकर्षित होता है तो उसे उभयलिंगी कहते हैं। 

उभयलिंगी या बाईसेक्सुअल एक से अधिक लिंग की तरफ आकर्षित होने के रूप को परिभाषित करता है, जिसे पैनसेक्सुअलिटी के रूप में भी माना जाता है।


 समलैंगिकता का अस्तित्व सभी संस्कृतियों और देशों में पाया जाता है।

समलैंगिकता और उभयलैंगिकता का कारण अभी स्पष्ट नहीं है।

बहुत से आधुनिक वैज्ञानिकों की राय में समलैंगिक विकल्प नहीं है, इसका कारण अनुवांशिक या जन्म से पूर्व हार्मोन अर्थात जब बच्चा गर्भ में होता है, भी हो सकता है।


समलैंगिकता केवल मनुष्यों में ही नहीं बल्कि पशु प्रजातियों में भी पाई जाती है जैसे पेंग्विन, डाॅल्फिन, चिंपाजी इत्यादि।


 कुछ वैज्ञानिकों एवं चिकित्सकों का मानना है कि समलैंगिक व्यवहार को बदला नहीं जा सकता।


 बहुत से देशों में समलैंगिकों को चिकित्सकों द्वारा मानसिक रोगों की श्रेणी में रखा गया है।


कुछ धार्मिक समुदाय समलैंगिक की चिकित्सा के प्रयास कर रहे हैं, जिसे रिपैरेटिव चिकित्सा कहा जाता है।


 इस चिकित्सा द्वारा बहुत से समलैंगिकों ने अपने आप को विषमलिंगी बनाने का प्रयास किया और उन्होंने दावा किया कि वो सफल हुए।


यह हमारा दुर्भाग्य है कि विषमलिंगी के कारक की चर्चा किए बिना केवल समलैंगिकता और उभयलैंगिकता ही चर्चा का विषय सदा रहा।


जबकि यह समझना सरल है कि विषमलैंगिकता के अस्तित्व का कारण सहवास द्वारा संतान उत्पन्न करना है।

 लेकिन यह समलैंगिक लोगों के मस्तिष्क के विकास पर कोई रोशनी नहीं डालता।


आधुनिक युग में समलैंगिक को स्वीकार किया गया है, लेकिन फिर भी बहुत से देशों में समलैंगिक भेदभाव से सुरक्षित नहीं है।


 एक समलैंगिक को इसलिए नौकरी से निकाला जाता है कि वो समलैंगिक है या किराए पर मकान देना, किसी रेस्टोरेंट में खाना खाने से वंचित रह जाता है, इसलिए हिंसा और भेदभाव से बचाने के लिए कानून भी बनाए गए हैं।


युनाइटेड किंगडम में समलैंगिक को अपराध माना जाता था, आस्कर वाइल्ड नाम के प्रसिद्द आयरिश लेखक को इसके कारण बन्दी बनाया गया था, फलस्वरूप एक हास्य लेखक और नाटककार के रूप में उनकी प्रसिद्धि को बहुत बड़ा झटका लगा।


एलेन ट्यूरिंग नामक व्यक्ति जिसने विश्व युद्ध में जर्मनों द्वारा प्रयुक्त एनिग्मा कोड को तोड़ कर मित्र राष्ट्रों की सहायता की थी।


समलैंगिकता के कारण दोषी ठहराए जाने पर आत्महत्या की। आज युनाइटेड किंगडम में समलैंगिक सुरक्षित है, समलैंगिक विवाह बेशक नहीं कर सकते लेकिन नागरिक भागीदारी में रह सकते हैं, जिसके अन्तर्गत विवाह सम्बंधी कुछ अधिकार और लाभ मिलते हैं।


समलैंगिक पुरुष सेना में भी भर्ती हो सकतें हैं। विश्व भर में समलैंगिक अभी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है, भारत में ही 6/9/2018 से समलैंगिक सुरक्षित हो गए हैं।


 पांच जजों की पीठ ने चार नए फैसले सुनाए थे जिससे पूरे देश में समलैंगिक लोगों में उत्साह जाग गया था।


 समलैंगिक रिश्तों के कारण जनसंख्या भी नियंत्रण में रहेगी तो इससे देश का भी फायदा होगा।

पाकिस्तान में समलैंगिक संबंधों के प्रति उदारता नहीं है मगर फिर भी लोग उसे समलैंगिकों का स्वर्ग कहते हैं।


 वहां समलैंगिकों की पार्टियां, खुलेआम समलैंगिक सामुहिक सेक्स की पेशकश की जाती है, दिखावटी समाजिक बंधनों के अन्दर समलैंगिक रिश्तों में तेज़ी आई है।


 कुछ लोग स्मार्टफोन के जरिए गे पार्टियों का इंतजाम करते हैं।

वहां कुछ समलैंगिक पुरुष शादी के बाद स्त्री से अच्छा व्यवहार तो करते हैं, मगर दूसरे पुरुषों से भी सम्बन्ध बनाए रखते हैं जिससे उनकी पत्नी को एतराज़ नहीं होता।


 यहां लोग मालिश वालों की भी सेवा लेते हैं, जो मालिश के अलावा अन्य सेवाएं भी देते हैं, एक साक्षात्कार में एक मालिश वाले ने बताया कि दो बीवियां और आठ बच्चे होने के बाद भी वो अब तक लगभग दो हजार लोगों के साथ सो चुका है, उसकी रोजी-रोटी यही है।


वहां पुरूषों को महिला मित्र बनाने के लिए हतोत्साहित किया जाता है , जिससे वो अपने ही ममेरे, चचेरे भाई या दोस्तों संग सम्बन्ध बना लेते हैं, जिसका परिवार में कोई बुरा नहीं मानता।


आधुनिक विज्ञान कहता है समलैंगिकता की प्रवृत्ति जन्मजात होती है, इसमें उस व्यक्ति या उसके पेरेंट्स का कोई दोष नहीं।


जन्मजात लक्षण होने के कारण इसमें बदलाव लाना सम्भव ही नहीं, नामुमकिन है, जब तक कि वो खुद अपने मन से ना चाहे, किसी जोर-जबरदस्ती से बदलाव लाना बेमानी है।


 कई बार किसी बीमारी की वजह से भी किसी में कुछ समय के लिए समलैंगिकता के लक्षण आ जाते हैं, जो बीमारी ठीक होने के बाद वो इन्सान फिर से हेट्रोसेक्सुअल हो जाता है।


 एक होमोसेक्सुअल इन्सान अपनी कामेच्छा के हिसाब से अपने आप को सन्तुष्ट कर लेता है।©®


प्रेम बजाज



2 likes

Published By

prem bajaj

prembajaj

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.