*रियल्टी शो की दुनिया का रंग आला है,
कोई ना जाने यहां कितना घोटाला है*
कुछ थोड़ा सा सच और बाकी मिलाकर झूठ परोसा जाता है।
लेकिन कोई ना कुछ इनके आगे बोल पाता है।
जो मान लें बात इनकी उसका डंका बज जाता है, जो ना माने वो पीछे रह जाता है।
दिखाकर झूठ मूठ के आंसू सहानुभूति बटोरी जाती है,
यहां अच्छे-अच्छे घर की औलाद भी गरीब मासूम बोली जाती है।
पहले तो दस-दस ओडिशन के बाद सेलेक्ट किया जाता है,
फिर मांगने को वोट उन्हें झूठी सहानुभूति बटोरने को कहा जाता है।
कहीं पर निर्णय निष्पक्ष लिया जाता है, और कहीं
पक्षपात करने के लिए नोटों का बंडल दिखाया जाता है।
भाड़ में गया मनोरंजन किसे करना है, जीतेगा वही जिसे अपना अंग प्रदर्शन करना है,
जिसका जितना होगा अंग प्रदर्शन उतने अधिक वोट पा जाएगा, फिर वो सेलेब्रिटी भी तो बन जाएगा।
चाहे हो ठीक-ठाक कला में, मगर मांग-मांग कर वोट जो जीत जाएगा,
जो ना बटोर सका वोट उसे वो पीछे छोड़ जाएगा।
हम भी गए थे डांस काम्पिटीशन में, दोस्तों झूठ नहीं कहा ये सच्ची मेरी कहानी है,
कहा पब्लिक से झूठ बोल कर मांगो वोट कि फैमिली सपोर्ट नहीं मेरी करती है,
कहा बेटी ने कैसे कह दूं झूठ जबकि फैमिली जान मुझ पर देती है।
नहीं चाहिए ऐसा स्टेज जहां झूठ को सच और सच को झूठ का पर्दा पहनाया जाता है,
नहीं ख़्वाहिश ऐसे नाम की, जिसके लिए राजा को बना रंक दिखाया जाता है।
फैसला आप खुद अब कर लेना,
रियल्टी शो को फेक कहना या रियल उसे मान लेना।
प्रेम बजाज ©®
जगाधरी ( यमुनानगर)
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