रिश्तों को भी ऑक्सीजन चाहिए

प्यार ऑक्सीजन है

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prem bajaj
prem bajaj 04 May, 2021 | 1 min read




ग़र जिंदगी चाहिए रिश्तों की तो प्यार का ऑक्सीजन देते रहें,

चाहतों की सांसें भरते रहें, अपनेपन का मरहम भी दूरियों के ज़ख्मों पे मलते रहें।


 ज़िन्दा रिश्तों को रखता है संवाद भी , चुप्पी की दीमक ना लगने दो कभी रिश्तों में, लेकिन अपवाद करना भी फ़िज़ूल है ।

मौन को मुखर की खुराक़ दो , दो बोल, बोल कर प्यार के अपनों को अहृलाद दो ।

शब्दों की ऑक्सीजन भर देती निष्प्राण में भी प्राण है, प्यार की ऑक्सीजन तो बहुत ही महान है।

कभी कहो , कभी सुनो मगर यूं चुप ना रहो , बढ़ जाती है दूरियां चुप रहने से ,

बोल कर मन की हर बात कहो ।


माना कुछ पल रहना शांत ज़रूरी है , लेकिन प्यार करते हो जिससे , उसे उसका

अहसास दिलाना भी तो ज़रूरी है , ये मीठा अहसास निकाल कर अन्दर से कार्बन-डाई-ऑक्साइड, ऑक्सीजन का पम्प मारता है।


उर - आंगन में अपनेपन की ऑक्सीजन जब घुलती है, सांसों में भी एनर्जी सी वो भरती है, ना मिले जो प्यार की ऑक्सीजन रिश्तों को, तो बिन लगाव के वो दम तोड़ देंगे, इस दुनियां से भले मुख ना मोड़ें, अपनों से मुख मोड़ लेंगे।


प्रेम बजाज

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