इश्वर का रूप पिता

पिता का साया ही काफ़ी है

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prem bajaj
prem bajaj 20 Jun, 2021 | 1 min read

प्यार का सागर दिल में रखता पिता , बच्चों की हर खुशी का ख़्याल रखता पिता ।

बिन बोले हर बात बच्चों की समझ जाता पिता , बच्चों की हर तकलीफ़ से हिल जाता पिता ।


कभी बच्चों की आंखों में आंसु ना आने देता पिता, खुद चाहे दिल ही दिल में रोता पिता ।

सो जाते जब चैन से बच्चे रातों में उठ-उठ कर उनके सिरों पर हाथ फिराया पिता ।


बच्चों की हर ख़्वाहिश को पूरा करने की जद्दोजहद में रहता पिता ।

सब की इच्छाओं और खुशियों कि ख़्याल रखता पिता ।


पढ़ - लिख कर बच्चे आसमान की बुलंदियों को छू ले , इसलिए बड़े स्कूल में दाखिला दिलाने को

ओवर -टाईम या डबल - शिफ़्ट भी करता पिता । बच्चों के सर पे छत सा एहसास दिलाता पिता ।


मुन्नी ने मांगी है साइकिल , जब तक दिला ना दे , रात-रात भर चैन से ना सोता पिता ।

अपने जुतों के तले घिस गए मगर बेटे के जुतों की सिलाई तक भी ना उधड़ने देता पिता ।


बेटी की शादी , बेटे को मकान , बहु को खुशी , दामाद को मान देता पिता ।

बेटी की बिदाई पर छुप-छुप कर रोता पिता , ख़्याल रखना मेरी बेटी का हाथ जोड़ कर कहता पिता ।


आप का कुछ नहीं हो सकता , आप को कुछ पता भी है , ये सुनकर भी चुप रह जाता पिता ।

हर संकट में पतवार बन खड़ा , ज़िन्दगी की धूप में घना साया , धरती पर ईश्वर का रूप पिता ।

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