प्यार का सागर दिल में रखता पिता , बच्चों की हर खुशी का ख़्याल रखता पिता ।
बिन बोले हर बात बच्चों की समझ जाता पिता , बच्चों की हर तकलीफ़ से हिल जाता पिता ।
कभी बच्चों की आंखों में आंसु ना आने देता पिता, खुद चाहे दिल ही दिल में रोता पिता ।
सो जाते जब चैन से बच्चे रातों में उठ-उठ कर उनके सिरों पर हाथ फिराया पिता ।
बच्चों की हर ख़्वाहिश को पूरा करने की जद्दोजहद में रहता पिता ।
सब की इच्छाओं और खुशियों कि ख़्याल रखता पिता ।
पढ़ - लिख कर बच्चे आसमान की बुलंदियों को छू ले , इसलिए बड़े स्कूल में दाखिला दिलाने को
ओवर -टाईम या डबल - शिफ़्ट भी करता पिता । बच्चों के सर पे छत सा एहसास दिलाता पिता ।
मुन्नी ने मांगी है साइकिल , जब तक दिला ना दे , रात-रात भर चैन से ना सोता पिता ।
अपने जुतों के तले घिस गए मगर बेटे के जुतों की सिलाई तक भी ना उधड़ने देता पिता ।
बेटी की शादी , बेटे को मकान , बहु को खुशी , दामाद को मान देता पिता ।
बेटी की बिदाई पर छुप-छुप कर रोता पिता , ख़्याल रखना मेरी बेटी का हाथ जोड़ कर कहता पिता ।
आप का कुछ नहीं हो सकता , आप को कुछ पता भी है , ये सुनकर भी चुप रह जाता पिता ।
हर संकट में पतवार बन खड़ा , ज़िन्दगी की धूप में घना साया , धरती पर ईश्वर का रूप पिता ।
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