मासिक धर्म प्रजनन क्रिया का एक प्रकृतिक हिस्सा है, जिसमें गर्भाशय से रक्त योनि से बाहर निकलता है। ये प्रक्रिया लड़कियों में लगभग 11 साल से 14 साल की उम्र में शुरू होती है। यही कुदरती प्रक्रिया उसे समाज में औरत का दर्जा दिलाती है, इन्सानी कायनात का दामोरदार इसी पर ही टिका है। मासिक धर्म लड़कियों के लिए अद्वितीय घटना है, जो मिथकों से घिरा हुआ है, और समाज के ठेकेदार मासिक धर्म से गुज़र रही स्त्रियों एवं लड़कियों को जीवन के सामाजिक एवं सांस्कृतिक पहलुओं से बाहर कर देते हैैं, जबकि यही समय उन्हें देखभाल की अत्यधिक आवश्यकता होती है। मिश्र और ग्रीक के दर्शनशास्त्रियों का मानना है कि हर महीने औरत में सेक्सुअल डिज़ायर का उफान उठता है, जब ये डिज़ायर पूरी नहीं होती तो शरीर से रक्त बहता है उसी को महावारी कहते हैं, महावारी से पहले औरत के मूड में बदलाव आता है, मिज़ाज में चिड़चिड़ापन, और शरीर के किसी भी हिस्से में अजीब खिंचाव या दर्द होता है, ये बातें इशारा करती है कि कुछ ही वक्त में ब्लिडिंग शुरू होने वाली है। ऐसा ज़रूरी नहीं कि सभी महिलाओं के साथ ऐसा ही हो,कुछ को सामान्य एवं कुछ को असहनीय दर्द होता है, कुछ का मानना है कि यह सेक्स की महरूमियत के कारण होता है, इसी कारण आज भी कुछ लोग लड़कियों को यह बताते हैं कि शादी के बाद यह दर्द ठीक हो जाएगा।
भारत में इसका उल्लेख वर्जित रहा, क्योंकि हिन्दू संस्कृति के अनुसार इसके पीछे एक कथा प्रचलित है, जिसमें इन्द्र देवता से एक ब्राह्मण की हत्या हो गई थी, जिसके पाप का चौथा भाग स्त्रियों को दिया गया, जिससे उन्हें मासिक धर्म होता है। जिसमें उन्हें अपवित्र समझा जाता है इसलिए उन्हें किसी भी धार्मिक कार्यों में भाग लेने की मनाही होती है, एवं दूसरा कारण यह माना जाता है कि हिन्दू देवी-देवताओं के मंत्र संस्कृति में है जिसे पढ़ने के लिए एकाग्रता की आवश्यकता होती है और मासिक धर्म में असहनीय पीड़ा होने के कारण एकाग्रता नहीं बनती एवं मंत्र ठीक से ना पढ़ने पर पाप लगने का डर रहता है।
मासिक धर्म में शहरी क्षेत्रों में मंदिर एवं मुख्यत गांवों में रसोईघर में जाना प्रतिबंधित है, इसका मुख्य कारण यह माना जाता है कि मासिक धर्म के समय शरीर से विशेष गंध निकलती है जिससे भोजन खराब होने की आंशका होती है, इसलिए उन्हें आचार इत्यादि छूने की मनाही होती है जबकि वैज्ञानिक परीक्षण में ऐसा कुछ नहीं पाया गया, मंदिरों में प्रवेश, यौन संबंध बनाने की मनाही होती है, महिलाएं खुद को अशुद्ध और प्रदूषित रूप में देखती है,स्वामीनारायण सम्प्रदाय ने अपनी किताब में उल्लेख किया है कि महिलाओं को इन दिनों इन नियमों का पालन क्यों करना चाहिए,उनके अनुसार महिलाएं अत्याधिक शारीरिक परिश्रम करती है, जिससे उन्हें थकान होती है, एवं इन दिनों उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन देखा जाता है, उन्हें आराम मिले इस हेतु उन्हें अलग रखा जाता है, एवं इन दिनों महिलाएं अपवित्र मानी जाती है, अगर वो नियमों का पालन करती है तो खाने एवं परिवार के सदस्य भी पवित्र रहते हैं। पिरीयड के दौरान महिलाओं की अवस्था मरीज़ सी होती है, हमें उन पर तरस करना चाहिए।
प्रेम बजाज
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