prem bajaj
24 Oct, 2025
सजावट
मुझसे ये सवाल क्यूंँ ?
मैं जानती हूंँ तुम मेरे अहसासों को अच्छे से समझते हो,
जब भी हम मिलते हैं अचानक से कहीं पर , मेरे हाथ से उतरी अंगूठी को देख तुम समझ जाते हो मेरे अहसासों को ,
सजावट के लिए जिसके नाम का मंगलसूत्र डाल रखा है, जिसकी तस्वीर साथ सजा रखी है काश वो भी पहचान जाता मुझे,
तुम कहते हो मैं क्यों नहीं तोड़ सकती बंधन, जो समाज ने बांधा, क्यों नहीं तोड़ सकती इस सजावटी रिश्ते को?
नहीं तोड़ सकती वो बंधन जो समाज ने बांधा है, भले ही रिश्ता बनावटी है, मगर नहीं तोड़ सकती,
क्या तुम तोड़ सकते हो समाज के बंधनों को, क्या तुम झुठला सकते हो इस सजावटी रिश्ते को,
नहीं न!
तो मुझसे ये सवाल क्यूंँ ?
हां, बोलो मुझसे ये सवाल क्यूंँ?
प्रेम बजाज ©®
जगाधरी ( यमुनानगर)
Paperwiff
by prembajaj
24 Oct, 2025
सजावट कांटेस्ट
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