वो प्यार का एक नया रिश्ता बना सा था,
दोस्ती को एक नया नाम दिया ही था,
वो दोनों धीरे धीरे मिलने लगे,
हर रोज़ नई मुलाकात के घेरे में पनपने लगे,
वो दोनों बहुत ही खुशमिजाज़ से रहने लगे,
उनको पता ही ना चला कि कब उन्हें प्यार हो गया,
कैसे और किस तरह वो प्यार का रिश्ता बन सा गया,
और फिर उनको एक दूसरे की आदत पड़ गयी,
एक दूसरे के बिना जैसे वो अधूरे से लगने लगे,
दोस्ती के साथ उनका एक नया रिश्ता बन से गया,
जैसे समुन्दर का पानी बहता हुआ लोगो को अपनी ओर खिंचता था,
वैसे ही वो दोनों का रिश्ता उनको एक दूसरे की ओर खींचता चला गया,
और इस तरह उनको प्यार हो गया।
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