ख्वाहिशें

वो पल भर की ज़िंदगी मिली थी, नई ख्वाहिशों के सजदे बीत रही थी, चलती राहों पर मुसाफिरों से मिल रही थी, नई नई सोच को पिरो रही थी, मानों जैसे उनकी बातों को समझने की कोशिश कर रही थी। कुछ वक्त भी नही बीता था

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Preeti
Preeti 26 Jan, 2020 | 0 mins read

ख्वाहिशें

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