Prashant Singh
Prashant Singh 15 Feb, 2023
जिन्दगी का बो अहम पड़ाव ।
ना जाने खुद को ही पागल बना रहा हु । चल तू अभी हरा नहीं चल अभी और पर अंदर से टूट चुका हु । घर की जिमेदारिया ही कुछ ऐसी है ।

Paperwiff

by prashantsingh

15 Feb, 2023

हारना नहीं है ये जिंदगी तेरी चोट सह लेंगे ।

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