Pramod D.Naik
Pramod D.Naik 17 Sep, 2020
रंगीन सपने
मौसम के चादारो को ओडकर सोये थे, रंगीन सपनो को सजाते सजाते कैसे उम् नीकला पता ही नाही चला ! अब नींद, सपने दोनो खतम हो गये.

Paperwiff

by pramod

17 Sep, 2020

प्रमोद डी नाईक. दंडेली (थोरलेभाग)

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