पापा के गुजरने के बाद रमेश को भगवान में विश्वास नहीं रह गया था और वो नास्तिक बन गया। रमेश तैराकी बहुत अच्छी करता था... उसे अपने तैराक होने पर अत्यधिक गर्व था। हो भी क्यों ना! हर प्रतियोगिता जीतता जो आ रहा था। इस बार भी राज्य स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। रमेश ने भी उसमें हिस्सा लिया, उसे पूरा विश्वास था कि प्रतियोगिता वहीं जीतेगा।
नियत समय पर प्रतियोगिता का शुभारंभ हुआ। सभी प्रतिभागी, लक्ष्य प्राप्ति हेतु जी - जान लगाकर आगे बढ़ने लगे। रमेश काफी तेजी से आगे निकलने लगा, अचानक उसे महसूस हुआ जैसे, उसका पैर कोई खींच रहा हो। रमेश चाहकर भी अपना पैर उस गिरफ्त से छुड़ा नहीं पा रहा था। उसे लगा कि आज उसकी इह लीला समाप्त हो जाएगी, काफी घबरा गया। अंत समय देखकर आंखें बंद कर ली तभी ऐसा लगा कि एक अदृश्य हाथ उसकी तरफ बढ़ रहा है। रमेश ने उस हाथ को मजबूती से पकड़ लिया और अचानक ही पानी के ऊपर पहुंच गया।
कुछ क्षण बाद उसे बहुत हल्का सा महसूस हुआ....जैसे कोई बोझ दिल से उतर गया हो। एक अलौकिक शक्ति का अपने पास होने का अहसास हुआ। रमेश ने उस अदृश्य शक्ति को नमन किया।
Comments
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बहुत सुंदर लिखा good dear👌♥️
Nice
बहुत सुंदर👌👌
Thank you ekta, vineeta, babita❤️❤️❤️
Wahh
Thank you Sonu je
सुंदर सृजन।जय भोलेनाथ
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