विपरीत दिशाएं

यह लघुकथा विचारधारा के टकराव और अधीरता को आईना दिखाती है।

Originally published in hi
Reactions 0
1880
Pragati tripathi
Pragati tripathi 07 Jan, 2020 | 0 mins read

रवि जी की दुनिया बस उनके तीन बच्चों तक ही सिमट कर रह गई थी। पत्नी ने बेवक्त ही साथ छोड़ दिया था। अब बच्चों की परवरिश और भविष्य संवारने की जिम्मेदारी उनके अकेले कंधों पर थी। रवि जी चाहते थे कि तीनों बच्चों को सही दिशा मिल जाए लेकिन तीनों बड़ी तेजी से दिग्भ्रमित दिशाओं की ओर अग्रसर होने लगे। जिस परिपक्वता और ठहराव से जीवन की गाड़ी रवि जी ने अपने अकेले कंधों पर चलाई थी वो विचारधारा के टकराव के कारण अलग दिशाओं में बह निकली।


0 likes

Published By

Pragati tripathi

pragatitripathi

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.