रिश्वत

एक सच्चे और ईमानदार इंसान की कहानी।

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Pragati tripathi
Pragati tripathi 23 Jan, 2020 | 1 min read

रवि बाबू बहुत ही मेहनती और सच्चे इंसान थे, सालों से सुपरवाइजर का काम ईमानदारी से संभाले हुए थे। लोग उनकी ईमानदारी की मिसालें दिया करते थे।

" रवि बाबू कब तक आप इसी पोस्ट पर जमे रहेंगे, आप की जगह यहां नहीं है आप चाहे तो आपका प्रमोशन हो सकता है। अगर आप.. बड़े बाबू को खुश कर दे तो," बच्चे के सामने मुंशी ने कहा।

मतलब?, रवि बाबू ने पूछा।

"अरे इतने नादान न बनिए रवि बाबू... कुछ लाख दो लाख.. दिजिए बड़े बाबू को फिर देखिए, कैसे आप रातों-रात प्रमोट कर दिए जाते हैं.. नहीं तो बहुत लोग लाइन में तैयार बैठे है। आप अपने है इसलिए पहले आपके सामने ये प्रस्ताव रखा गया है," मुंशी जी ने कहा।

मुंशी जी, आपने गलत जगह और गलत व्यक्ति से ये बात कही क्योंकि मैं रिश्र्वत के सख्त खिलाफ हूं ना मैं रिश्वत लेता हूं और ना ही रिश्वत देने में विश्वास रखता हूं। आप जा सकते हैं मुंशी जी..नमस्ते

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