मैं हूं मेरी मां के जैसी

कविता

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Pragati tripathi
Pragati tripathi 11 May, 2020 | 1 min read

सब कहते हैं कोई खूबी नहीं है तुझमें तेरी मां के जैसी

वो जितनी सरल, तू उतनी ही कठोर

वो जितनी हंसमुख, तू उतनी ही गुस्सैल

वो जितनी सहनशील, तू उतनी ही उतावली

वो जितनी ही सलीकेदार, तू उतनी ही अल्हड़

वो जितनी ही सीधी, तू उतनी ही चतुर

तुझमें मां सा कुछ भी तो नहीं है, जो मैं कहूँ तू है बिलकुल अपने मां के जैसी..

मां का जो रुप तुमने देखना चाहा उसने वहीं दिखाया, लेकिन मेरी नज़र से देखो तो मैं हूं बिलकुल मां के जैसी

मां ने मुझे सहना नहीं सिखाया क्योंकि उसने जिंदगी भर सहा

मां ने मुझे झुकना नहीं सिखाया क्योकी उसे गया था बहुत झुकाया

मां ने मुझे अल्हड़ बनाया क्योंकि उसने सारी जीवन समझौतों में बिताया

मां ने मुझे कठोर बनाया क्योंकि उसकी सरलता का सबने फायदा ही उठाया

मां ने मुझे ऐसा इसलिए बनाया ताकि एक और सरलता की मूरत छली न जाये।

#mothersday

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