#कोरोना से लड़ेके बा, डरेके नइखे

लघुकथा

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Pragati tripathi
Pragati tripathi 20 Mar, 2020 | 1 min read

कहां जा तारू रीता?", पड़ोस के चाची टोकली।

"चाची हम बाजार से सामान खरीदे जा तानी।"

"तोहरा पता बा नू कि कोरोना वायरस फैइलल बा," चाची कहली।

हाँ चाची, हमरा सब पता बा, माई हमारा के बतइले बिया,

* पहिला बात, बाहर मास्क लगाके निकलेके बा।

* दूसरा, हर आदमी से एक फीट के दूरी पर रहके बात करेके बा।

* तीसरा, कौनो चीज के छुएके नईखे।

* चौथा, बाहर से आकर साबुन से आपन हाथ अच्छा से साफ करेके बा।

* पाँचवा, बाहरी सामान, भीड़भाड़ वाला जगह नइखे जाएके बा, घर में रहेके बा। और अभी त आपन सरकार के कहला के अनुसार बाईस मार्च के घर से बाहर नइखे निकले के बा।

"त, तू कहाँ घूमतारू?", चाची कहली।

"चाची, हम पापा के साथे घर के जरूरी सामान जैसे, राशन, दवाई सब्जी लेवे जा तानी। ई देखी पापा आ गइनी।", रीता बोलली।

"प्रणाम बहन जी," रमेश जी कहले।

"प्रणाम.. प्रणाम का हाल बा?"

"सब ठीक बा।"

"कोरोना वायरस के बारे में आपके पता बा नू," रमेश जी पूछले।

हां भाईसाहब, पता बा।

"ठीक बा सब राशन - पानी इकट्ठा कइला के जरूरत बा। आ सरकार के साथ देला के जरूरत बा। इ कोरोना से डरेके नइखे, ऐकरा से जमके मुकाबला करेके बा। तबे हमनी के जीतेम सन", रमेश जी कहले।

"जी भाईसाहब, बिलकुल हमनी सब मिलके मुकाबला करें सन और जागरूकता फैलाएम सन, विमला जी कहली।

ठीक बा जाई सामान खरीद ली, प्रणाम।

"जी प्रणाम, एतना कहके रमेश जी बाजार चल गइले।

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