सुना आपने रमा जी के बेटे ने नाक ही कटा दी, विमला जी ने अपने पति मनोज जी से कहा।
"ऐसा क्या किया रवि ने?", मनोज जी ने पूछा।
"अरे.. आपको पता नहीं जगहंसाइ हो रही है उनलोगों की! रवि ने विजातीय विवाह कर लिया है, कांलेज से ही उस लड़की से उसका चक्कर चल रहा था। घर भी आती- जाती थी.. फिर भी किसी को भनक नहीं लगने दिया रवि ने और दो दिन पहले जब उसका विवाह तय होने को था तो सबके सामने कह दिया कि वो किसी और लड़की को चाहता है... और उसी से शादी करेगा। जब मां - बाप ने मना किया तो कोर्ट मैरिज कर के आ गया। अब सुन रही हूं कि मनोज जी उसे संपत्ति से बेदखल कर घर से निकालने वाले हैं।"
तभी मनु वहां आ गया और बोला, "क्या हुआ मम्मी...आप किसके बारे में बात कर रहे हैं। किसने नाक कटा दी?"
"मनोज जी सहसा अतीत में खो गए, जब उनके बाबूजी को विजातीय विवाह से सख्त नफरत थी और बड़े भईया विजातीय विवाह कर आए लेकिन बाबूजी ने उन्हें नहीं अपनाया और घर से निकाल दिया पर जब गुस्सा ठंडा हुआ तो लाख बुलाने पर भी भईया वापस नहीं आए और बाबूजी उसी गम में चल बसे। मनोज जी ने दूर तक सोचा और विमला को चुप रहने का इशारा कर बोले, "कुछ नहीं बेटा... हम तुम्हारे दोस्त रवि की दुल्हन देखने जा रहे हैं।
अच्छा.. हां, आपलोग देख आइए.. मैं वहीं से आ रहा हूं।
अतीत की परछाई
अतीत की परछाईयां आपके आज को भी प्रभावित करती है। इसी पर आधारित यह लघुकथा।
Originally published in hi
Pragati tripathi
18 Jan, 2020 | 1 min read
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