"मैं बेटी नहीं बन पाई"

एक बेटी के जीवन की सच्चाई, मैं एक बेटी न बन पाई।

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Poonam chourey upadhyay
Poonam chourey upadhyay 05 Sep, 2020 | 0 mins read
Hindi poetry Sacrifice Daughter

आज सुनाती हूं एक बेटी के जीवन की सच्चाई,

जन्म हुआ,किसी ने कहा लक्ष्मी आई,

कोई बोला,बेटियां तो होती है पराई,

ये बातें बचपन से मेरे कानों में गूंजती आई,

पर मैं कुछ अर्थ समझ ना पाई,

एक दिन मेरे मन ये बात आई,

क्या लड़की का जन्म इतना दुखदायी,

जीवन के हर पड़ाव पर इतनी कठिनाई

बेटी तो थोड़ा कम पढ़ाओ,

चूल्हा,चौकी और खाना सिखाओ,

यहाँ मत जाओ,वहाँ मत जाओ,

बेटी तुम ज्यादा दोस्त न बनाओ

इतनी सारी बंदिशें क्यों लगाई

ब्याहकर जब मैं ससुराल आई,

बहु बनकर सारी जिम्मेदारियां निभाई,

पत्नी बनकर कई कसमें खाई

माँ बनकर घर में खुशियां ले आयी,

पर किसी ने कहा,

बहु तुम तो पराये घर से आई,

मर्यादाएं और अपने संस्कार छोड़ आई,

हमारा घर बर्बाद करने हो आई,

मायके से कुछ सीखकर नहीं आई,

सबके ताने सुन,

बेटी को अकेले ही लड़नी थी लड़ाई

बातें कुछ अब जाकर समझ में आई,

जब मैं बेटी न बन पाई।

जब मैं बेटी न बन पाई।



@पूनम चौरे उपाध्याय

मौलिक, स्वरचित







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Poonam chourey upadhyay

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