"ज़माने ज़माने का फर्क है"

जमाना बदल गया है बहुत।

Originally published in hi
Reactions 1
641
Poonam chourey upadhyay
Poonam chourey upadhyay 17 Oct, 2020 | 1 min read
Old age In laws Thinking Modern life

अरे बहु,दोपहर के 2 बजे हैं और अभी तक घर की झाड़ू भी नहीं निकली,साथ में सुबह से बिना झाड़ू पोछा लगाए तुम्हारा खाना भी बन गया"कमला जी ने बहु पायल को ताना मारते हुए कहा।

"माँ मेरी कमर में बहुत दर्द होता है जबसे मुझे सिजेरियन डिलीवरी से बच्चा हुआ है"पायल ने कमला जी को उत्तर दिया।

यहाँ बात हो रही है,एक ऐसे परिवार की जहाँ पायल और पंकज अपने 6 महीने के बच्चे के साथ मुंबई में रहते है। कमला जी कभी कभी बच्चे को संभालने या बहु बेटे से मिलने मुंबई आ जाया करती थी।

कमला जी को आये अभी दूसरा दिन ही हुआ था कि बहु की बातें और उसके काम करने का तरीका उनको बुरा लगने लगा था।हर दिन हर बात पर टोकने की आदत से पायल भी परेशान हो गयी थी।

"हमारे जमाने में तो बहुयें नहा धोकर झाड़ू पोछा करके ही रसोई में जाती थी"आजकल तो बिना नहाए खाना भी बन जाता है।फिर कमला जी ने पायल को ताना मारा।

पायल बहुत ही सुलझी हुई लड़की थी।उसको हर बात का उत्तर देना तो आता था पर सासु माँ से कौन बहस करें सोचकर चुप रह जाती थी।

दूसरे दिन भी सुबह कमला जी उठी और झाड़ू लगाने लगी।

"अरे माँ जी, कामवाली बाई आने में ही होगी,कल उसकी तबीयत ठीक नहीं थी,आज तो वो आने ही वाली होगी"पायल ने बड़े प्यार से कमला जी से कहा।

"अरे मतलब कामवाली बाई भी आती है तुम्हारे यहाँ, हमारे समय में तो पूरा काम हम बहुयें हाथ से करते थे"मैं तो सोच रही थी कि 2 लोगो के लिए तो तुमने बाईं नही लगवाई होगी।

कमलाजी ने फिर ताना मारा।

पायल चुपचाप रही सोचा 1 महीने रहकर चली जायेगी सुन लो इनकी भी।

शाम को पंकज ऑफिस से आया।जैसे ही पायल चाय बनाकर लायी तो कमलाजी बोली-

बहु मेरी चाय कहाँ है?

"अरे माँ जी अभी आधे घंटे पहले तो हमने चाय पी थी,मुझे लगा आप दोबारा चाय नहीं पियेंगी" पायल बोली।

"अच्छा हमारे सास ससुर को तो हम जितनी बार चाय बनाते थे उतनी बार पूछते थे और देते थे"कमला जी बोली।

पायल के साथ साथ पंकज भी सुन रहा था, बोला- "सुनो पायल माँ के लिए भी एक कप चाय बना लायो"

"अरे नहीं नहीं, मैं तो खुद ही बनाकर पी लुंगी,मैं तो ये देख रहीं हूँ कि अपने मायके से क्या संस्कार लेकर आई है" कमलाजी बोली।

रोज़ की तरह ऐसा ही चलते रहा,कभी किसी बात पर ताना तो कभी किसी और बात पर,पायल का तो कमला जी के साथ रहना दिनोंदिन बहुत मुश्किल हो रहा था।

रात में सब खाना खा रहे थे,पायल ने किचिन साफ किया और झूठे बर्तन धोने के लिए रख दिये।

"बहु ये रात के बर्तन झूठे नहीं रखना चाहिए,हमारे जमाने मे तो.......कमलाजी का बस इतना बोलना हुआ ही था कि पायल बोबस मम्मीजी आपके जमाने में क्या होता था,हमें मत बताइये,हम उस जमाने की लड़कियां नहीं है।मैं मानती हूँ आपके जमाने में सब बहुयों से कराया जाता था,उनको नौकरानी समझा जाता था।घरों के बाहर लड़कियों को नहीं निकलने नहीं दिया जाता था।उनको ज्यादा नहीं पढ़ाकर घर का काम सीखा दिया जाता थाआज जमाना बदल गया है,उस समय घरों में लाइट नहीं थी,आज 2 मिनट क्या लाइट चले जाएं आप घबरा जाती है,उस समय सब छतों पर सोते थे,आज आपको इतनी गर्मी होती है कि आप AC का कूलर के बिना नहीं सो सकती।पायल ने तो आज गुस्से में कमला जी को बहुत कुछ सुना दिया।

कमलाजी भी क्या बोलती चुपचाप सुनती रहीं।

पायल बोली-आज सारी सुख सुविधा है,मेरे लिए ही नहीं आप सबके लिए भी माँ जी,आप यहाँ आयी है,आप आराम से रहिए और हमें भी आराम से रहने दीजिए।

आजकल से जमाने और पहले के जमाने में ज़मीन आसमान का अंतर है माँ जी।

कमला जी को भी पायल की बातें कुछ समझ आई, वो भी सोचने लगी कि पूरी ज़िंदगी तो सबके लिए काम कर कर के ही बिता दी।

अब क्या था,कमला जी ने भी काम का टेंशन लेना बंद कर दिया।आराम से रहने लगी और ताने भी देना बंद कर दिया।

और सबसे बड़ी बात कि अब कमला जी को मुंबई में ही अच्छा लगने लगा,इतना आराम जो था।अब वो अपने पोते के साथ समय बिताती,tv देखती और बाकी समय आराम करतीपायल ने गले लगाकर सासु माँ से कहा-माँ जी,आपने ज़िन्दगी भर तो काम ही किया हैं ना,अपने बुढ़ापे में थोड़ा आराम भी कर लीजिए।


दोस्तों, आप सभी को मेरी कहानी कैसी लगी,कृपया कमेंट सेक्शन में बताएं।

@पूनम चौरे उपाध्याय,

मौलिक, स्वरचित







1 likes

Published By

Poonam chourey upadhyay

poonamchoureyupadhyay

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.