पिंकी बेटा,जाओ जल्दी से ब्यूटी पार्लर होकर आ जाओ और हां सुनो, फैशियल थोड़ा महंगा वाला करवा लेना, कम से कम थोड़ी तो गोरी दिखोगी"। जब भी कोई लड़का पिंकी को शादी के लिए देखने आने वाला होता था,हमेशा पिंकी की माँ ऐसे ही पिंकी के पार्लर जाने के पीछे पड़ जाती थी।
माँ, मुझे नहीं जाना कोई ब्यूटी पार्लर, कौनसा मैं एक दिन में गोरी हो जाउंगी? और जिसको मुझे पसंद करना होगा वो मेरी चेहरे की रंगत को ही नहीं देखेगा बल्कि मेरे चरित्र और स्वभाव को भी तो देखेगा"-बड़ी उम्मीदों के साथ पिंकी ने अपनी माँ से कहा।
पिंकी बचपन से ही बहुत काली थी पर उसके नैन नक्श बहुत ही तीखें थे। पढ़ाई में काफी होशियार थी और अपने माता पिता की इकलौती संतान थी। मातापिता पिंकी के काले रंग को लेकर बहुत परेशान रहते थे। जहाँ भी रिश्ते की बात चलाओ, वहाँ से चेहरे की रंगत के कारण मना हो जाता था।
अरे सुनीता, तुम भी पिंकी को बेवजह परेशान करती रहती हो, क्या होता है काले रंग से, मेरा भी रंग साँवला है, अपनी भी तो शादी हुई थी ना। अनिलजी बहुत ही गुस्से में चिल्लाते हुए पिंकी की माँ से बोले।
सुनो,अपने ज़माने की तो आप बात ही ना करो।सब माँ बाप की मर्ज़ी से होता था। आजकल के ज़माने में सब बच्चों की अपनी मर्ज़ी चलती है।जहाँ भी फ़ोन लगाती हूं, सब यही पूछते है "हमारा बेटा तो गोरा है आपकी बिटिया का रंग कैसा है? तुम ही बताओ मैं लड़के वालों को क्या जवाब दूँ।
कल की ही बात है, वो बनारस वाले दुबेजी के यहाँ मैंने फ़ोन किया था, जहाँ उनके बेटे के लिए अपनी पिंकी की बात चली थी,वो बोली मेरा बेटा तो गोरा है पर आपकी पिंकी तो बहुत काली है। मैंने भी मिसेज़ दुबे को गुस्से में बोल दिया, यदि आपके जैसी घटिया सोच सबकी होने लगे,तो दुनिया में जितनी भी काली लड़कियां हैं वो तो सब ज़िन्दगी भर कुँवारी ही रह जाएंगी।
"आप ही बताओ, यदि सब ऐसे ही जवाब देंगे तो हमारे मरने के बाद पिंकी का बोझ कौन उठाएगा? सुनिताजी भी चिंतित होते हुए अनिलजी से बोली। पिंकी भी ये सब सुन रही थी, वह चुपचाप अपने कमरे में जाकर मन ही मन दुखी होने लगी कि मेरे माता पिता मेरे रिश्ते लिए कितने परेशान हो रहे हैं।
एक दिन अचानक से पिंकी के मन में ख़्याल आया और वह अपनी माँ से बोली, माँ कल तक काला रंग मेरी कमी थी पर अब मैं इसे ही अपनी ताकत बनाऊँगी। ताकि मेरे रंग पर कोई आवाज़ तक न उठा सके।
अब पिंकी को जो भी काला बोलता था,वो तुरंत उसको जवाब दे देती थी। और अब तो पिंकी की बहुत अच्छी नौकरी भी लग गई थी। और अब से वह अपने में ही मस्त रहने लगी थी,पर सुनीताजी को अभी भी बस दिनभर पिंकी की शादी की ही चिंता सताती रहती, और हो भी क्यों न, क्योंकि पिंकी भी अब 32 की उम्र पार कर चुकी थी।समय भी बड़ा जल्दी जल्दी निकल रहा था।
एक दिन अचानक से फ़ोन की घंटी बजी। क्या आप सुनीता जी बोल रही हैं? उधर से आवाज़ आयी।अरे मैं वही मिसेज़ दुबे बोल रही हूं। उस दिन तो आपने मेरी आँखें ही खोल दी, ये बोलकर की सब काली लड़किया क्या कुँवारी रह जाएंगी।मैं आपसे माफी मांगती हूं।और आपकी बेटी पिंकी का बॉयोडाटा मेरे बेटे मनोज बहुत ही बहुत ही पसंद आया, हम शाम तक आपके घर आ रहे है।सुनिताजी का तो मानो खुशी का ठिकाना ही नहीं था।
पिंकी बेटा शाम को लड़के वाले आ रहे है तुम्हें देखने।पिंकी ने भी हँसते हुए बोला, हां माँ आने दो लड़केवालों को,उन्हें भी देख लेंगे। उस दिन पहली बार सुनिताजी ने पिंकी को ब्यूटी पार्लर जाने के लिए नहीं कहा।शायद वो भी समझ गयी थी कि रंग इतना मायने नहीं रखता है।
पिंकी बेटा "चाय लेकर आ जाओ"- माँ ने आवाज़ लगाई।
जैसे ही वो लोग पिंकी से कुछ पूछते, उतने में ही पिंकी बोल पड़ी- मेरी शादी मेरे काले रंग के कारण नहीं हो पा रही, इसमें मेरा कोई कसूर नहीं है। और मैं इसलिए नहीं बनी कि कोई भी लड़का मुझे देखने आये, बैठे, खाये-पिये,बड़ी-बड़ी बातें करे, और फिर मुझे नापसंद कर दे। अब मैं किसी लड़के को यह अधिकार नहीं देना चाहती,और दूँ भी क्यों। इस समाज मे ख़ूबसूरती की पहली शर्त गोरी रंगत ही मानी जाती है।सांवली रंगतवालों के नयन-नक्श भले ही कितने भी आकर्षक क्यों न हों, गोरे रंग के सामने उन्हें कमतर ही आंका जाता है।
लड़के वाले ये सब सुनकर हक्के-बक्के रह गए। इतने में मनोज उठा और अपनी माँ से बोला, मैं पिंकी से शादी करना चाहता हूँ।मुझे हमेशा से ही ऐसी लड़की चाहिए था जो अपने जीवन के निर्णय स्वयं ही लेना सीखे। मुझे पिंकी के रंग से कोई मतलब नहीं है।मुझे तो उसके मन से मतलब है।
इतने में मनोज ने पिंकी से हँसते हुए पूछा,"क्या आप मुझसे शादी करोगी?पिंकी भी शर्माते हुए अंदर की तरफ भाग गई।
@पूनम चौरे उपाध्याय
मौलिक, स्वरचित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
very nice
Thanks babita
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