"रिवाजों में झूलते दिखावटी रिश्ते"

"रिवाजों में झूलते दिखावटी रिश्ते"

Originally published in hi
Reactions 0
574
Poonam chourey upadhyay
Poonam chourey upadhyay 24 Dec, 2020 | 1 min read
Society Marriage Inlaws Problem

रेणुका की शादी को तीन दिन ही हुए थे, ससुराल के रीतिरिवाज़ भी इतने सारे थे कि शादी की थकान निकालना तो बहुत दूर ही नहीं एकदम असंभव सा था।ऊपर से घर में इतने सारे मेहमान,और नई दुल्हन के रूप में, चेहरे पर ढका हुआ पूरा घूंघट, और सभी नए मेहमानों के साथ, मानो तीन दिन में ही रेणुका को ससुराल एक सज़ा सी लग रही हो।

रेणुका अपने मातापिता की इकलौती संतान और बहुत ही लाड़ प्यार में पली बढ़ी थी।इतने रीतिरिवाज और पर्दा प्रथा तो उसने अपने घर में अपनी माँ को भी कभी करते नहीं देखा था।

जैसे तैसे एक सप्ताह बाद सारे मेहमान चले गए,घर में रह गए 6 लोग,सासूमाँ कमलाजी,बहु रेणुका,बेटा राहुल और ननद तनु,दामादजी रौनक और उनकी एक तीन साल की बेटी आरु।

"अरे भाभी,अब आप सलवार कुर्ती पहन सकती है" तनु बोली।सभी मेहमानों के जाने के बाद ननद तनु ने भाभी रेणुका को थोड़ा सहयोग किया ताकि उनको थोड़ा हल्का सा लगे।बिचारी तीन दिन से सब पहनी हुई थी।साड़ी, भारी ज्वेलरी वगरैह...

रेणुका बोली- हाँ दीदी,मुझे भी साड़ी पहनने की आदत नहीं है।

"हाँ मैं समझ सकती हूं,मेरे साथ भी ससुराल में यही सब हुआ था"पर उस समय मुझे कोई सहयोग करने वाला नहीं था।तनु बो"जैसे ही रेणूका सूट पहने हुए,गले में सिर्फ एक चेन, हाथों में एक एक कंगन,पैरों में पतली सी पायल पहनकर सभी के सामने आई तो कमलाजी गुस्से में आगबबूला होकर रेणुका पर बरस पड़ी।

"शर्म नहीं आती तुम्हें, थोड़े दिन तो बड़ो का लिहाज करो"कमलाजी बहुत जोर से रेणूका पर गुस्साई।

"हॉ माँजी,वो दीदी ने बोला था मुझे कि सब हल्का पहन लो,मैं तो डर भी रही थी कि सब क्या कहेंगे"रेणुका बोली।

"तनु तुम अभी से इसको सिर पर बैठा लेना,और सुनो यहाँ मायके में अपने ससुराल के रिवाज़ मत चलाओ"कमलाजी तनु से बोल"माँ उसमें क्या हुआ,रिवाज़ को लोगों ने बनाये है,रिवाज़ जब तक हम नहीं बदलेंगे हमेशा ऐसे ही चलते रहेंगे"

कमलाजी तो अपनी बेटी तनु को भी चुप करा देती थी,घर में एकतरफा राज़ था तो बस कमलाजी का ही।यही कारण से तनु भी बहुत कम अपने मायके आती थी क्योंकि कमलाजी की आदत से वो भी परेशान थी।

अब तो तनु को अपने ससुराल भी जाना था क्योंकि दामादजी की भी शादी की वजह से काफी छुट्टियां हो गयी थी। तनु भी अपनी नई भाभी रेणुका के साथ थोड़े दिन मायके में रह भी ली थी।कल सुबह तनु,रौनक और आरु निकलने ही वाले थे।जैसे ही दूसरे दिन वो लोग जाने के लिए निकल"आरु बेटा सभी बड़ो के पैर तो छुओ"कमलाजी ने छोटी बच्ची आरु को टोका।

"अरे ये क्या इतनी छोटी सी कन्या से पैर कौन पड़वाता है भला"रेणूका ने कमलाजी को बीच में ही टोकते हुए बहुत अचंभे से कहा।राहुल ने कहा-"रेणुका हमारे घर का एक एक बच्चा सभी बड़ो के पैर छूता है,ये भी रिवाज़ है एक हमारे यहां का"

रेणुका को बड़ा अजीब सा लगा,वो बोली मेरे पिताजी तो आज तक मेरे पैर छूते हैं, कभी भी उन्होंने मुझसे अपने पैर पड़ना तो दूर पैर दबवाये भी ना होंगे।छोटी सी लड़की तो एक कन्या का रूप होती है और इससे पैर पड़वाना तो महापाप है।रेणुका बोली -आप लोगों के सभी रिवाज़ो को मैं अपना सकती हूं पर इस बेटी से मैं पैर नहीं पड़वाऊंगी, इसको तो मैं अपने गले से लगाउंगी।ऐसा कहकर रेणुका ने आरु को बड़े प्यार से अपनी गोद में उठा लिया।

कमलाजी का चेहरा तो देखने लायक था पर वो कुछ बोल ना सकी।तनु और राहुल भी एक दूसरे के गले लग गए।उस दिन राहुल ने भी अपनी बहन तनु से पैर ना पड़वाये।

शायद राहुल को भी पछतावा था,कि वो यही रिवाज़ों को इतने समय से अपनाते आ रहा था।

दोस्तों, ये सब लोगो के बनाये हुए नियम हैं,और लोग इसे अपनाते आ रहे हैं, क्यों ना हम भी रेणुका की तरह इन रिवाज़ों को ना अपनाए और जो सही लगता है वो ही करें।

धन्यवाद,

@पूनम चौरे उपाध्याय

स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित






0 likes

Published By

Poonam chourey upadhyay

poonamchoureyupadhyay

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.