"अब मैं फ़ोन रखती हूं, माँ शायद छत पर आ रही है" ऐसा कहकर नीलू ने नीलेश का फ़ोन रख दिया|
"क्या हुआ, बेटा कुछ परेशान सी लग रही हो" नीलू की माँ विनीता जी ने पूछा|
"नहीं नहीं माँ, बस ऐसे ही थोड़ी तबीयत ठीक नहीं लग रही" ऐसा बोलकर नीलू अपने कमरे में चली गयी|
यहाँ पर बात हो रही है नीलू की, जिसका नीलेश से पिछले 6 सालों से अफेयर चल रहा था| नीलेश और नीलू कॉलेज के टाइम से एक दूसरे को जानते थे| इन दोनों को प्रेमविवाह करना था, परंतु सबकी मर्ज़ी से| नीलेश के घर में तो सभी इस शादी के लिए तैयार थे, पर नीलू के घर वाले इस शादी के खिलाफ थे|
नीलू बहुत पढ़ी लिखी और एकदम सरल स्वभाव की थी| जो जैसा बोल देता था, वैसा मान लेती थी| नीलू पूरे 26 साल की हो चुकी थी| घर वाले बहुत जोरशोर से रिश्ते ढूंढ रहे थे| नीलेश रोज़ बोलता था, कि सबकी रजामंदी से ही शादी करेंगे| वो नीलू से रोज़ बोलता था, कि अपने माता-पिता से अपने रिश्ते की बात करो| पर नीलू बहुत डरती थी, कि माता पिता नाराज़ होंगे, घर से निकल देंगे वगरैह, बिना बात करे मन में ही बहुत कुछ सोच लेती थी|
वैसे तो दोनों का समाज भी एक था, पर नीलू के यहाँ अपनी पसंद से ढूंढे लड़के से शादी करने पर मनाही थी| जब भी नीलू, उसकी बहन से पूछती, कि नीलेश की बात करूँ क्या शादी के लिए| बहन भी बोल देती-"दीदी, माँ तो एक बार मान भी जाये, पर पापा तो बिल्कुल भी नहीं मानेंगे| नीलू ये सब सोचकर फिर चुप रह जाती|
एक दिन नीलू के लिए बहुत बड़े घर से रिश्ता आया, लड़का मुम्बई में कोई बड़ी कंपनी में काम करता था|
नीलू को कल सुबह लड़के वाले देखने आने वाले थे|
अब समय आ गया था, नीलू की आज असली परीक्षा थी क्योंकि आज अगर नीलू ने अपनी बात नहीं रखी तो,
उसकी शादी मुम्बई वाले लड़के से हो जाएगी|
"माँ सुनो, मैं एक लड़के को बहुत पसंद करती हूं, उससे शादी करना चाहती हूं"नीलू ने धीरे से अपनी माँ विनीता जी से बोला| और नीलेश के परिवार के बारे में भी पूरा बताया|
"बेटा मेरी इस घर मे चलती कहाँ है, अपने पिताजी से पूछ लो, वो हां बोल देते है तो हम आगे बात कर लेंगे" विनीता जी नीलू से बोली|
शाम को पिताजी के ऑफीस से आने के बाद, नीलू ने आखिर पूछ ही लिया, "पापा मैं एक लड़के से शादी करना चाहती हूं" बस फिर क्या था, नीलू के पिताजी शुरू हो गए, हां अब तो तुम बहुत बड़ी हो गयी हो, इतनी हिम्मत कहाँ से आई तुममें, बेशर्म हो गयी हो, वगरैह वगरैह|
अरे पापा, आप नाराज़ मत होइए, नीलेश बहुत अच्छा लड़का है, जॉब भी बहुत अच्छी है, वो भी ब्राह्मण हैं हम लोगों की तरह, पहले आप मिल लीजिए, अगर नहीं पसंद आये तो मत करना मेरी शादी नीलेश से| नीलू ने हाथ जोड़कर उसके पिताजी से कहा|
"हमारे घर में आज तक किसी लड़की ने अपनी मर्ज़ी से शादी नहीं की"ऐसा तुमने सोच भी कैसे लिया|
"नीलेश से शादी करने का इतना ही शौक है तो, भाग जाओ उसके साथ, हम भी सोच लेंगे मर गयी तुम हमारे लिए| पिताजी बोले|
नीलू रोते हुए कमरे में चली गयी, और बहुत फूट-फूट कर रोने लगी|
अब क्या था, दूसरे दिन लड़के वाले आ गए| नीलू उनको पसंद भी आ गयी| पर नीलू को पंकज पसंद नहीं था और घरवालों के खिलाफ भी वो जाना नहीं चाहती थी| शादी की तारीख भी तय हो गयी| नीलू से उसका फ़ोन भी छुड़ा लिया गया और बाहर अकेले जाने पर भी रोक लग गई| नीलू को अब जब भी बाहर जाना होता, तो अपनी माँ या बहन के साथ जाती थी|
अब नीलू की शादी वही मुम्बई वाले लड़के यानी पंकज से हो गयी| एक साल तो नीलू को खुदको संभालने में लग गया| थोड़े टाइम बाद दोनों में रोज़ रोज़ के झगड़े होने लगे| सास ससुर और पति मिलकर दिनभर दहेज के लिए टोकते, बात बात पर ताने देते और मायके तो बिल्कुल भी नहीं आने देते थे| ऐसा ही चलता रहा|
देखते ही देखते 3 साल गुजर गए पर नीलू अभी तक अपने मायके भी नहीं आयी थी| कभी भी दोनों की लड़ाई हो, तो पंकज विनीता जी को फोन लगाकर बोल देता कि "अपनी लड़की को यहाँ से ले जाओ या दहेज लेकर आ जाओ"
एक दिन विनीता जी ने हिम्मत करके ये बातें नीलू के पापा से बोली| नीलू के पापा तो मानो सुनते ही दंग रह गए| उन्हें तो इस बात का अंदाज़ा तक भी नहीं था| उन्हें नहीं मालूम था कि नीलू इतनी दुःखी है ससुराल में|
उन्होंने नीलू को फ़ोन किया- "नीलू तैयार हो जाओ, मैं तुमको लेने के लिए आ रहा हूं|
जैसे ही वो नीलू को ससुराल लेने पहुँचे, नीलू को देखकर उनके रोंगटे खड़े हो गए|
नीलू के पूरे शरीर पर खरोंच के निशान ही निशान थे|
जैसे ही नीलू ने अपने पिताजी को देखा, वो उनके पास आकर गले से लिपटकर बहुत तेज़ रोने लगी| उनको बहुत पछतावा हो रहा था, कि काश मैंने एक बार नीलू की बात भी सुनी होती| वो रो-रोकर खुदको ही दोष देने लगे और बोले बच्चे हर वक्त गलत हों ऐसा नहीं है|
दोस्तों, ऐसा बहुत से घरों में आज भी होता है कि लड़कियों को समाज मे बेइज़्ज़ति होने के डर से लव मैरिज यानी खुदकी मर्जी के लड़के से शादी नहीं करने दी जाती| ऐसा ही नीलू के साथ हुआ| अगर नीलू की पसंद से शादी होती तो उसको आज ये दिन नहीं देखना पड़ता|
ये कहानी आपको कैसी लगी| कृपया कंमेंट सेक्शन में बताएं|
@पूनम चौरे उपाध्याय
मौलिक, स्वरचित
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