"अब नहीं दूंगी अपनी खुशियों की बलि"

माँ बाप भी समाज के सामने अपनी इज़्ज़त के लिए बच्चों पर अपनी खुशियां थोपते हैं| जो कि बच्चों के साथ गलत हो जाता है|

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Poonam chourey upadhyay
Poonam chourey upadhyay 19 Oct, 2020 | 1 min read
Disturb Life Parents Daughter Love

पापा, मम्मी को मत मारो ना प्लीज" बेटी गुनगुन अपने पापा को ज़ोर से चिल्लाई|

बचपन से ही अपनी माँ पर अत्याचार होते गुनगुन देख रही थी| हर बार पर उसके माता पिता के झगड़े देख देखकर वो चुप ही रहा करती थी| उसे लगता था कि वो अगर बीच में कुछ बोलेगी तो उसके पापा, मम्मी को जैसे मारते है वैसे ही उसे भी मारेंगे|

गुनगुन बेचारी चुपचाप बैठकर सहमी हुई सी अपने माता-पिता के झगड़े देखा करती थी| उसके पापा का स्वभाव गुस्से में बहुत तेज़ था, इसलिए उनसे बहस करना गुनगुन को सही नहीं लगता था|

अब गुनगुन भी शादी के लायक हो गयी थी| माता पिता से उसके व्यवहार बिल्कुल भी अच्छे नहीं थे| गुनगुन सारी बातें मन में ही रखकर एक शांत सी ज़िन्दगी जी रही थी|

गुनगुन की जिंदगी में एक लड़का था आयुष, जिसे वो पसंद करने लगी थी| उसी से वो अपने मन की सारी बातें कहती थी| वो भी गुनगुन को बेहद पसंद करता था| पिछले 3 साल से उन दोंनो का अफेयर चल रहा था|

गुनगुन मुम्बई में एक IT कंपनी में जॉब करती थी| और लड़का भी उसे वहीं मिला था| माँबाप का फ़ोन सिर्फ शादी के रिश्ते की बातें करने के लिए आता था| गुनगुन कुछ न कुछ बहाना कर शादी की बातों को टाल देती थी| क्योंकि उसे तो प्यार था सिर्फ आयुष से|

गुनगुन दीवाली की छुट्टियों में अपने घर आई हुई थी| उसने सोचा,इस बार अपनी माँ से आयुष की बात करके देखती हूं|

"माँ मैं आयुष से शादी करना चाहती हूं"गुनगुन बोली|

"अच्छा वो इतना कलुआ(काला)सा तुम्हारा दोस्त,तुमने एक बार मिलवाया भी था हमें"और वो तो हमारी कास्ट का भी नहीं हैं| हमसे नीचे वाली कास्ट हैं ना उसकी| कमला जी बोली|

हाँ,माँ वो काला है तो क्या हुआ,दिल से बहुत अच्छा है| और कास्ट कोई मायने नहीं रखती मेरे लिए| हम दोनों बहुत प्यार करते है एक दूसरे से,और कमाते भी अच्छा हैं| मेरे लिए कोई और लड़के ना देखो प्लीज| गुनगुन गिड़गिड़ाते हुए अपनी माँ कमला जी से बोली|

"रुक तेरे पापा को बताती हूं, मुम्बई जाकर यही गुल खिला रही है तू"कमला जी गुनगुन पर गुस्सा होते हुए बोली|

"सुनो ये देखो आपकी बेटी को,कोई इज़्ज़त ही नहीं रह गयी हम लोगों की"अपने मन से सब सोच लेते है आजकल के बच्चें| कमला जी लगातार बड़बड़ा रही थी|

"पिताजी आप तो समझो मुझे"गुनगुन बोली|

"कैसे कर दे आयुष से तुम्हारी शादी,वो भी इंटरकास्ट मैरिज"पिताजी बोले|

गुनगुन ने तो अब सोच ही लिया था कि शादी करेगी तो सिर्फ और सिर्फ आयुष से ही|

माँ और पिताजी आज आप दोनों भी अपने कान खोलकर सुन लो| मैं ही अपने ज़िन्दगी का फैसला लूंगी|

"बचपन से लेकर अभी तक सिर्फ आप दोनों को झगड़ते ही देखा है"मुझे इंजीनियरिंग नहीं करना था,आप लोगों ने थोपा मुझपर,क्योंकि आपको चाहिए थी समाज मे इज़्ज़त| मुझे एनिमेशन में नहीं जाने दिया जो कि मेरी बचपन से ही हॉबी थी|

फिर इंजीनियरिंग के बाद मैंने सोचा,कि मैं हॉबी को अब पूरा करूंगी| पर आपने मुझे जबरदस्ती जॉब के लिए फ़ोर्स किया| क्योंकि मैं जॉब नहीं करती तो समाज में आपकी नाक जो कट जाती|

माँ आपने बोला कि आयुष काला है,मुझे ये बताओ पापा का आपने तो गोरा रंग देखकर ही शादी की थी ना, तब भी आप रोज मार खाती हो| माँ क्या यही प्यार होता हैं|

आप लोगों की इज़्ज़त के लिए मैं अपनी खुशियों की बलि नहीं दूंगी|

गुनगुन अपने माँबाप से बोली|

माँबाप का तो चेहरा देखने लायक था,क्योंकि कभी गुनगुन को उन्होंने ऐसी बातें करते ही नहीं देखा था|

तीन दिन बाद भी गुनगुन मुंबई के लिए निकल गयी|

गुनगुन मुम्बई पहुँची ही थी,कि कमला जी का फोन आया-

बेटा, "मैं और पापा आ रहे हैं आयुष और तुम्हारी सगाई करने"|

ये सुनकर गुनगुन की आंख में आंसू ही आ गए| सबसे शांत रहने वाली गुनगुन आज तो ख़ुशी से चहक उठी| पहली बार उसकी मर्जी से कोई काम हो रहा था|

दोस्तों, कभी कभी माँ बाप को भी बच्चों के अच्छे के लिए उनकी बातें सुन लेना चाहिए| हर बार बड़े ही सही नहीं होते|

माँ बाप भी समाज के सामने अपनी इज़्ज़त के लिए बच्चों पर अपनी खुशियां थोपते हैं| जो कि बच्चों के साथ गलत हो जाता है|

@पूनम चौरे उपाध्याय

मौलिक, स्वरचित


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