"अरे मिश्रा जी की नई बहू को तो देखो,इसकी शादी को तो 15 दिन भी नहीं हुए और जीन्स पहन कर अकेली बाजार भी जाने लगी।
यहाँ पर बात हो रही है,नैनी की,जिसकी अभी अभी शादी हुई है,और शहर में मिश्रा जी के यहाँ वो बहु बनकर आयी है| जहाँ सबके ख़्यालात बहुत खुले विचारों वाले है।
नैनी बहुत मध्यम परिवार से थी पर बहुत पढ़ी लिखी।बहुत ही नाजुक सी और सुंदर सी।निखिल को नैनी एक सामाजिक समारोह में पसंद आई थी।निखिल का अच्छा खासा बिज़नेस था और वो एकलौता लड़का भी था।नैनी के माता पिता की तो जैसे किस्मत ही खुल गयी थी।
अरे बहु को अब कार भी सिखा देना निखिल, क्योंकि थोड़े दिन बाद ये बिज़नेस में भी हाथ बटाने लग जायेगी"रचनाजी ने अपने बेटे निखिल से बोला।
रचनाजी एकदम मॉडर्न ख़्यालात की थी।वो खुद भी बहुत मॉडर्न थी और बहु को भी बड़े प्यार से रखती थी।
एक दिन रचनाजी के यहाँ किटी पार्टी थी।उस दिन नैनी को रचनाजी ने बोलबेटा कोई वेस्टर्न ड्रेस पहन लें"
नैनी बहुत ही संकोची स्वभाव की थी।उसको इतना मॉडर्न रहने की आदत तो उसके मायके में भी न थी।क्योंकि नैनी के भाई और पापा को वेस्टर्न कपड़े पहनना पसंद नहीं था और ना ही नैनी का किसी लड़के से बात करना।
नैनी को ससुराल में कोई परेशानी नहीं थी,उसको अगर कुछ परेशान करता था,वो था उसकी सास का कुछ ज्यादा ही मॉडर्न होना।कोई बिज़नेस के लिए भी आता तो रचनाजी नैनी को बात करने के लिए आगे कर देती,बोलती बेटा तुम बात करो।नैनी को एकदम से इतना मॉडर्न होना अजीब सा लगता था।
आखिर किटी पार्टी वाले दिन उसने रचना जी के कहने पर शार्ट ड्रेस पहन ही ली।सबका खाना पीना चल ही रहा था,इतने मएक आंटी बोली-अरे रचनाजी आपने तो बहुत तो बहुत ही सिर चढ़ाया है।इतना मॉडर्न रखोगी तो क्या इज़्ज़त करेगी ये सास ससुर की।आपके बुढ़ापे में 1 गिलास पानी भी दे दे तो बहुत हैअरे बहन"आपने तो हमेशा से ही अपनी बहू को साड़ी पहनाई,घर में ही बैठाकर रखा और दिनभर नौकरानियों जैसे काम करवाती हो"तभी वो दुनिंया भर में आपकी बुराई करती फिरती है।बहु को साड़ी पहनाने से ही इज़्ज़त नहीं मिलती,पहनाओ कुछ भी पर बहु को प्यार दोगे तो प्यार मिलेगा और सम्मान दोगे तो सम्मान मिलेगा।रचनाजी ने गुस्से से उत्तर दिया।
ये सब सुनकर नैनी की आंखों में आंसू आ गए,क्योंकि इतना प्यार और इतनी आज़ादी तो उसे,उसके मायके में भी नही मिला था।
सच मे नैनी बहुत ही खुशकिस्मत थी कि उसे रचनाजी जैसी सास और मिश्राजी जैसा परिवार मिल मायके से ज्यादा आज़ादी तो नैनी को ससुराल में मिली थी।
दोस्तो आपको ये कहानी कैसी लगी।कृपया कंमेंट सेक्शन में बताए।
@पूनम चौरे उपाध्याय
मौलिक, स्वरचित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
👌👌👌
Beautiful 😍😍
Thanks charu
Thanks neha ji
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