"ग़रीबी की जीत"

गरीब हैं तो क्या पर जीतना तो हैं।

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Poonam chourey upadhyay
Poonam chourey upadhyay 18 Aug, 2020 | 1 min read
Poverty Life Sacrifice

"माँ कल मेरे स्कूल में एक दौड़ प्रतियोगिता है,मुझे नए जूते दिला दो ना" रोहित ने बड़ी खुशी से विमला से कहा।


तेरे पास तो पुराने जूते भी हैं वो पहन जा।पर वो तो मुझे छोटे हो गए माँ,दिला दो ना।रोहित ज़िद करने लगा।


विमला के पास तो महीने के आखिरी तक रुपये ही नहीं बचते थे।वो घर घर बर्तन मांजती थी।

"कल तू स्कूल ही मत जाना"विमला बोली।


स्कूल तो ज़रूर जाऊंगा। अच्छा,मैं अपने पुराने जूते में पैरों की उंगलियों को मोड़कर ही दौड़ लगा लूंगा ,मुझे जीतना जो है।।विमला ने रोते हुए रोहित को गले से लगा लिया।

@poonamchoureyupadhyay



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