सवालों के कटघरे में

#ग़ज़ल

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Pooja Agrawal
Pooja Agrawal 01 Sep, 2020 | 1 min read

सवालों के कटघरे में जवाब ढूंढते हैं


प्रश्नचिन्ह सी निगाहें, अल्पविराम से लफ़्ज़,

दिलो-दिमाग पर छाए हुए कोहराम में विराम ढूंढते हैं


जिंदगी के गुणा-भाग में खुद उलझ गए हम

अब जोड़-तोड़ का हिसाब ढूंढते हैं


कहाँ से चले थे कहां आ गए हम

रेत पर अपने कदमों के निशान ढूंढते है


तिलस्मी सी दुनिया में हमको कोई नहीं जानता

अपने पोशीदा मांझी में अपनी पहचान ढूंढते हैं











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Pooja Agrawal

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