अद्भुत अंबुज

कविता अद्भुत अंबुज

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Pooja Agrawal
Pooja Agrawal 03 Sep, 2020 | 1 min read
#Poetry

भोर की लालिमा में हँसता हुआ सूरज,

पक्षीयोंके कलरव से गुंजती हुई घाटियाँ,

पेड़ों की डालिओं में धूप से चमकते हुई पत्ते।

सुनहरी घास पर बिखरी हुईं दूब की बूदें।

गुलामी कमल के पुष्प सरोवर में खिलते हुए,

गोलाकार तश्तरीनुमा पत्तों के बीच,

अलौकिक अद्भुत अविस्मरणीय ये अंबुज,

आकर्षित करते भोंरों को मदहोश सुगंध से,

चौड़ी पंखुड़ियां अति मनोहर,

मधुमक्खियां रसपान को लालायित होती।

अपलक निहारता जग सौंदर्य को तेरे,

पर जो सीख सिखाता तू पुष्कर,

वही जीवन का है मूल मंत्र ।

परिस्थितियों के अभाव में भाग्य को कोसना,

है बहाना मात्र क्योंकि,

कीचड़ में भी खिल जाता है,

 लक्ष्मी जी का दुलारा, 

Poojaagrawal (ankhaealfaaz)


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Pooja Agrawal

poojaagrawal

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Sonia Madaan · 4 years ago last edited 4 years ago

    👏👏👏

  • Pooja Agrawal · 4 years ago last edited 4 years ago

    Thanks dear

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