एक ३४-३५ साल के एक सज्जन बड़े ही सीधे साधे,लेकिन अपने सिद्धांत के पक्के थे, नौकरी की तलाश में शहर के बीच से गुज़रे जा रहे थे. रास्ते में एक मंदिर पड़ा, मत्था टेक कर जैसे ही आगे बढ़े, एक हीरे की अंगूठी पा गई,ये सोच कर उठा ली की जिसकी होगी उसको दे दूँगा. यह सोच कर घर की ओर चल दिए समय गुजरता रहा, अब वो सज्जन ये सोचने लगे कि ये अंगूठी जिसकी हैं उसको कैसे दी जाए. सज्जन बेरोज़गार थे, एक दिन विचार आया की क्यूँ न एक चाय की दुकान खोल लूँ और एक पेपर चिपका दूँ जिस पर लिख दिया जाए की मुझे एक अंगूठी पाई हैं जिसकी हैं वो मुझ से ले जाए लेकिन सब कुछ बताना होगा कहा पर खोई थी, दिन क्या था जो आएगा और बताएगा उसको दे दूँगा. उस सज्जन ने ऐसा ही किया दुकान खोल ली और एक पेपर लिख कर लगा दिया , क्यूँकि सज्जन अंगूठी अपने पास नहीं रखना चाहता थे.समय गुजरता गया दुकान इतनी चली की उसने एक बेहतरीन होटल व एक भव्य मकान भी बना लिया, सज्जन ने उस अंगूठी को एक डिब्बे में रख कर काउंटर पर लगा दिया. एक दिन सज्जन सोचने लगा कि इस अंगूठी को दूँ या ना दूँ अपने पास ही रख लूँ जब से मुझे मिली हैं मेरा काम बहुत बढ़िया चल गया, लेकिन सज्जन सिद्धांत के पक्के थे नहीं जिसकी हैं उसको देनी हैं. एक दिन क्या हुआ, एक ५०-५५ साल की महिला उस होटल में खाना खाने आई, जैसे ही पैसे देकर बाहर निकल रही थी उस अंगूठी पर नज़र पड़ी, तुरत उस सज्जन से बोली ये अंगूठी तो मेरी हैं और जब से खोई हैं मेरा सब कुछ ख़त्म हो गया हैं.भैया, बहुत ढूँढा पर नहीं मिली आज मुझे मिल गई, मैं देखते ही पहचान गई भैया, ठीक हैं बहन मेरी बात सुनो आपके परिवार में कौन -कौन हैं बहन, भैया मैं मेरा बेटा व बहु हम तीनो एक छोटे से मकान में रहते हैं हमारा सब कुछ ख़त्म हो गया भैया आज हमारे पास कुछ भी नहीं हैं मुझे होटल में खाना खाने के लिए कई बार सोचना पड़ा, हो सकता हैं भगवान को मुझे अंगूठी देनी थी, वो सज्जन बोले बहन एक बात बताऊँ जिस दिन से मुझे ये अंगूठी मिली हैं मेरी क़िस्मत बदल गई हैं, आप अपनी अंगूठी ले जाओ पर मेरे एक दो सवाल के जवाब दे दो महिला बोली जी भैया आप पूछ लो, क्या आप बता सकती हैं कितने साल पहले आपकी अंगूठी खोई थी और कहा खोई थी हाँ भैया आज से क़रीब २० साल पहले मैं मंदिर गई थी( मुझे तो दिनांक भी याद हैं) वही सीढ़ियों से उतरते हुए गिर गई थी ओर मेरी अंगूठी निकल गई बहुत ढूँढा पर नहीं मिली पर आज मिल गई. सज्जन ने एक दम से काउंटर में से डिब्बा निकाल कर महिला को अंगूठी देने लगे, महिला ने लेने से मना कर दिया, महिला कहने लगी मुझे संतुष्टि हैं भैया मेरी अंगूठी आख़िर मिल ही गई और भैया तुमने एक बात बोली जब से ये अंगूठी आपको मिली आपका जीवन बदल गया, भैया अब मैं न ले पाऊँगी, सज्जन की आखों मे आंसू आ गए और हाथ जोड़ कर महिला से कहा, मेरे कोई बहन नहीं हैं आज से तुम मेरी बहन हो और अब तुम हमेशा के लिए हमारे साथ हमारे मकान में ही रहोगी, महिला भी बोली मेरे भी कोई भाई नहीं हैं आज से तुम भी मेरे भाई हो. दोनो भाई बहन धूम- धाम से रह रहे हैं … और वो अंगूठी आज भी होटल के काउंटर में रखी हुई हैं.
हीरे की अंगूठी….
हीरे की अंगूठी….
Originally published in hi
PiyushGoel
17 Jul, 2022 | 1 min read
#motivational
1 likes
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.