राम कहा फिल्मन को बहुत शौक हाथों।कहनव कहा तो उ बहुत गरीब थो पर सिनेमा के लाने पैसा कही न कही से कर ही लेट थो।उकी मताई घर घर जा कर काम करती थी और जो पैसे फीस के लाने देती थी उस पैसे से वो सिनेमा देख आत तो।उकी माँ उये अफसर बनना चाहत थी और ऊके घर पर गोबिंदा बनने को भूत सवार थो। ओके जैसी कटिंग करवा तो कपड़ा भी ओके जैसे पैरेत तो ओ की मां पढ़ाई करवा कर के अच्छी नौकरी कीकोशिश कर रही थी काय से ओ की मां पढ़ी लिखी नही थी वह तो अपने लड़का के लाने इतना सब कछु कराती काय से लड़का पढ़ लिख जाए।ऐसे ही सिनेमा ने न जाने कितने बच्चन खा बिगाड़ के राखहो है। राम के पिता नहीं थे मां ने पिता की कमि राबहु नहीं होने दी।पिछले हफ्ते होने वाली परीक्षा का परिणाम आने वाला था होना भी क्या था सभी विषयों में फेल हो गए।राम ने सोचा कि मां बहुत परेशान होती है अब हमें पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर पढ़ना चाहिए काय से घर को सारा काम करके काम पर जाती है मेरी पढ़ाई के काजे अब हमारे लाने भी फिल्मों पर ध्यान नहीं देना है मां की ख्वाहिश पूरी करने है ।माँ ने कहबू कोनऊ चीज को मना नहीं किया जब जो मांगा वह मा ने किया अब मेरी बारी है।अब हमें कौनउ भी फिल्म को हीरो नहीं बनने काय से हमारी मां ने पढ़ाई के लाने बहुत सारी तकलीफ उठाई है मेरी प्यारी मां।
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