चौक गये न दोस्तों .....शीर्षक देख कर । क्योंकि चाय को अपने कभी उड़ते हुए नही देखा ना । पर मैं देखी हूँ ,अब आप सोच रहे होंगे की कैसे ........? तो बता दूं आपको की मै इस बात से इतनी ज्यादा प्रभावित हूँ की गरम चाय कप में आती नही की मैं कोस्टर लेकर तैयार रहती हूँ , बेचारी कप में आई चाय को ढकने के लिए ।
अब आइये आपको मै अपने बचपन का चाय उड़ने का एक मजेदार किस्सा बताती हूँ । फिर आप समझ जाओगे की चाय कैसे उड़ जाती है ?
मैं भाई बहनों में सबसे छोटी हूँ । मेरे से बड़े मेरे भैया हैं ।जो मुझसे तीन साल बड़े है । उनसे मेरा छत्तीस का आँकड़ा रहता था । हम एक ही स्कुल में पढ़ते थे ,बस क्लास अलग अलग थे तो स्कुल भी साथ ही आना -जाना होता था ।अब इसके किस्से कहूँगी तो स्टोरी काफी लंबी हो जायेगी ,सो ये किस्सा फिर कभी ।अभी चाय के उड़ने के तरफ ही आते है ।
हुआ ये कि एक बार घर में कोई पूजा थी । मम्मी और दादी पूजा की तैयारियों में लगी थी । और उस समय हमारे स्कुल में मॉर्निंग क्लास चल रही थी । इसलिए मम्मी चाय गैस पर चढ़ा कर भाई को बोली की बन जाये तो छान लेना और वो हम दोनों को बिस्किट देकर अपने काम में बिजी हो गयी ।
चाय बनने के बाद भैया चाय मुझे दिए और खुद भी बिस्किट चाय खाने लगे । मैं अपना स्कुल बैग पैक कर रही थी तो वे मेरा चाय पास ही टेबल पर रख दिए । मै बैग पैक करके जब चाय बिस्किट खाने गयी तो देखी कि मेरे कप में चाय काफी कम है । मै गुस्से में भैया से बोली - 'मेरा चाय तुमने चुरा लिया ।'
वो बोले - 'नही तो मैंने तो नही लिया ।'
'इतना कम क्यों है मेरी चाय' - और मै मम्मी को रोते हुए बुलाने लगी ।
हमारे झगड़े की भनक मम्मी को लग गयी । वो दौड़ी हुई आई ।मुझे चुप कराते हुए भैया से पूछी की इसकी चाय कम क्यों है ।
भैया चाय की भाप की तरफ इशारा करते हुए बोला - वो अपना बैग पैक कर रही थी ।सो भाप बनकर उड़ गई ।
मम्मी तो शायद भैया की ये चालाकी समझ गयी थी । पर हमारे झगड़े को सुलझाने के उद्देश्य से बोली - "ठीक ही तो कह रहा है ,तुम लेट की होगी । इसलिए तुम्हारी चाय उड़ गई ।"
अब इस बात ने मेरे छोटे से दिमाग में इस कदर अपनी जगह बना ली है की मै अभी भी चाय की भाप देखती हूँ तो ऐसा लगता है ,जैसे चाय उड़ रही है ।😋😋🤣🤣
मैं अब तो गर्म चाय ही पी जाती हूँ । बेकार में चाय उड़ा के क्या फायदा । शादी के बाद मेरे पतिदेव भी मेरे गर्म चाय पीने की वजह जानी तो उनकी हँसी ही नही रुकी ।
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