#प्रेम
मेरी राहें, मेरी मंज़िल और मेरा, सराय भी तुम।
सच कहती हूँ तुमसे प्रियवर ! मेरा तो संसार भी तुम ।
मेरे मंदिर के ईश्वर हो, मेरे तन के प्राण हो तुम ।
सच कहती हूं तुमसे, प्रियवर ! मेरा तो आधार भी तुम।
सिंदूरी शामों की लाली , सुबह का उगते सूरज तुम ।
सच कहती हूं तुमसे प्रियवर ! मेरे तो आकाश भी तुम
मेरे प्रेम की परिभाषा हो,
जीने की अभिलाषा तुम
सच कहती हूँ तुमसे प्रियवर ! मेरी तो हर साँस मे तुम।।
पल्लवी वर्मा
स्वरचित
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