काकी माँ

रिश्ते खून के हो ना हो ,प्रेम होना चाहिये।

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Pallavi verma
Pallavi verma 16 Nov, 2019 | 1 min read

काकी माँ 

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सुबह सुबह की गुनगुनी धूप में मैं बैठा हुआ सुमित बैठा हुआ अखबार पढ़ रहा था आज बहुत दिनों बाद सूरज के दर्शन हुए थे अभी थोड़ी देर पहले ही एक कप चाय खत्म की थी उसने की ठंड की हल्की हल्की चुभन ने उसे किचन की तरफ मोड़ने पर मजबूर कर दिया जहां वह अपने लिए एक कप चाय बनाने जा रहा था उसने देखा उसकी पड़ोस की बालकनी से एक वृद्ध महिला झांक रही है अभी वह नया-नया ही शिफ्ट हुआ था इस मकान में इसलिए किसी को ज्यादा जानता नहीं था उसने मुस्कुरा कर अभिवादन किया। पलट कर उन वृद्ध महिला ने भी दोनों हाथ उठाकर उसे ढेर आशीर्वाद दिया सुमित को जाने क्या सूझी उसने झट ही कहा काकी चाय पियोगी। उन्होंने कहा बेटा इस ठंड में नेकी और पूछ पूछ बना लो। मैं अभी आती हूं।

बस फ़िर क्या था वो हर रोज़ आने लगी और कहती अकेले चाय मिलेगी,सुमित को बिस्किट,टोस्ट,नमकीन भी देना पड्ता।

सुमित का दुनिया में कोई नहीं था,गाँव की बाढ़ में परिवार के साथ साथ सब बह गया था।

सुमित पेपर देने शहर गया था इसलिए बच गया। तबसे वह कमाता और उस पैसा से,पढता ।

नई नौकरी,नई जगह,नई दुनिया यही सब बचा था सुमित के जीवन में ।

अब सुमित और काकी की बीच बहुत काकी के बीच बहुत संबंध बन चुका था आत्मीय संबंध वन चुका था एक दिन सुमित को तेज बुखार था वह बिस्तर से नहीं उठ पा रहा था काकी रोज आती थी इसलिए आज भी आई देखा सुमित आंख भी नहीं खोल पा रहा था काकी ne पट्टी रखी और दूध गर्म करके दवा दी जब सुमित ठीक हुआ तो उसे पता चला की मां कैसी होती होगी उसने कहा कि काकी आज से मैं तुम्हें काकी मां कहूंगा।

कालांतर में सुमित का तबादला दूसरे शहर में हो जाता है मगर वह काकी मां के संपर्क में रहता है,एक बार उसे फ़ोन आता है कि काकी को उनके बेटे ने घर से बाहर खड़ा कर दिया था,हमने उन्हे बृद्धाश्रम में छोड़ दिया है वो आपको यहां बुला रही हैं ।सुमित, काकी को बृद्धाश्रम से अपने घर ले जाता है सुमित की पत्नी काकी को उनके अंतिम समय तक अपनेपन का एहसास कराती है और हर मुमकिन सेवा करती है ।

काकी अपने मकान से बेटे को बेदखल कर, अपनी वसीयत सुमित के नाम कर देती है, और अपनी ममता और आशीर्वाद भी सुमित और उसके परिवार के नाम कर देती हैं रिश्ते केवल खून के ही नहीं होते रिश्ता चलाने के लिए सबसे जरूरी होता है प्रेम होना जोकि काकी मां और सुमित के बीच में था प्रेम का रिश्ता।

सुमित को माँ की कमी काकी माँ के होते कभी नहीं हुई।

काकी माँ को प्रेम व आदर के साथ एसा बेटा मिला,जिसनें उनको अनादर और दर्द से बचा लिया ।


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Pallavi verma

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