स्त्री और पुरुष के वेतन मे अंतर
1961 के वेतन पारिश्रामिक अधिनियम के अनुसार स्त्री और पुरूष दोनो को समान वेतन देने का नियम है।
हमारे देश को आज़ाद हुए लगभग 73 वर्ष हो चुके हैं,देश के संविधान ने कई कर्तव्य और अधिकार प्रदान किये हैं पर जहां तक स्त्रियो की बात आती है स्थिति अब भी असामान्य बनी हुई है,ना केवल लैंगिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है बल्कि कार्य क्षेत्र में समान कार्य पर भी वेतन कम दिया जाता है।
स्त्री मन मारकर इस शोषण को सहने तैयार हो जाती है ।
चाहे काम का एक्सपीरियंस, एजुकेशन, एज और प्रोफेशन, समान हों तब भी उन्हें वेतन पुरुष सहकर्मी से कम मिलता है।
*मजदूरों में भी पुरूषों को महिलाओं की अपेक्षा 56 प्रतिशत ज्यादा मजदूरी मिलती है।
* अभिनेत्रियों को भी अभिनेताओं से कम पारिश्रमिक प्राप्त होता है।
यह अंतर केवल मजदूरों में ही नहीं बड़े कारपोरेट में भी देखे जा सकते हैं।
कम वेतन देने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं
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जॉब बीच में छोड़ना-: अक्सर महिलायें पारिवारिक दवाब के चलते जॉब बीच मे छोड़ देती हैं ।
शादी की उम्र ना निकल जाए -: ये डर भी महिलाओ को होता है वो केरियर के पीक पॉइंट पर जॉब छोड़ने का जोखिम उठा लेती है।
मेटरनिटि लीव -: कंपनी को हर स्त्री को मेटरनिटी लीव देनी ही होती है इस कारण युवा महिलाओं को कम वेतन में रख लिया जाता है।
वास्तविकता पर एक नजर
जबकि देखा जाए तो प्रकृति ने, स्त्री को बहुत ही शक्ति वान बनाया है। एक साथ कई कार्यों को पूर्ण मनोयोग से कर सकती है ।उन्हें कमजोर समझ कर कम वेतन प्रदान करना उनके साथ नाइंसाफी है । स्त्रियां समर्पित भाव से कार्य क्षेत्र में अपना योगदान देती है।
जिम्मेदारी
उन्हें किसी भी परिस्थिति में समान वेतन देना चाहिए चाहे, वे मैटरनिटी लीव पर हो। तब भी क्या कंपनी या संस्था की जिम्मेदारी नहीं बनती कि, वह अपने महिला कर्मचारी को मातृत्व अवकाश का वेतन उनसे बिना किसी अपेक्षा के प्रदान करें ।
विषय की गम्भीरता
यह विषय काफी गंभीर है और नए जमाने में स्थितियां काफी बदल चुकी है ।अब मेटरनिटी लीव में भी स्त्रियां, वर्क फ्रॉम होम के ऑप्शन के साथ काम कर सकती हैं तो अब उन्हें वेतन भी पुरुषों के समकक्ष ही दिया जाना चाहिये जो कि कहीं कहीं दिए भी जाते हैं । आशा करते हैं भविष्य में इस स्थिति में और भी सुधार होगा।
धन्यवाद
पल्लवी वर्मा
स्वरचित
वेतन में असमानता
#Ichallengeyou article#2 स्त्री को एक समान पारिश्रमिक का हक है
Originally published in hi
Pallavi verma
12 May, 2020 | 1 min read
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