माँ है या संजीवनी

माँ है या संजीवनी

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Pallavi verma
Pallavi verma 09 May, 2020 | 1 min read

ज़र्रा-ज़र्रा,कतरा -कतरा रोशन है,तेरे वजूद से।

तू है तो चल रही है, ये कायनात सुकून से।

है प्रेम,जिसे कहते,तू जिंदा मिसाल है उसकी।

तुझ से ही तो सीखी कला यह, जीने की।

मां है या संजीविनी या,चमत्कार कहीं का।

तुझसे ही चल रहा है, संचार लहू का।

तो क्या हुआ कि, तू अब भाग नहीं सकती ।

कर रही पोषित तेरी, जितनी भी है,शक्ति।

बरकत मेरी तुझसे,तेरी दुआओं से तरक्की।

साथ है तू तो, मुझे परवाह नहीं कल की।।

पल्लवी वर्मा

स्वरचित

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