शीर्षक-: मधुमती
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अपने जमाने की खूबसूरत अदाकारा मधुमती ....अपनी चोटी के अभिनय से सबको आश्चर्यचकित कर देती थी। उसके अभिनय और खूबसूरती के दीवाने उसे रूपहले पर्दे मे देखने के लिए घंटो लाईन में खड़े हो ,टिकिट खरीदने,के लिये अपनी बारी का इन्तज़ार करते रहते।
उसकी एक झलक पाने को दूर दराज से आकर लोग उसके घर, के सामने दिन भर खड़े रहते।
मधुमती, को अपने आप पर बहुत गुरूर था ,उसे मुहं मांगी कीमत पर साइन किया जाता था।वह फिल्म में आकर्षण का केंद्र होती थी ।
उसे पता था कि हर कैमरा मैन उसे ही तलाश रहा है ।
लेकिन समय का पहिया,कब रुका है, धीरे धीरे उसका रूप,लावण्य खत्म होने लगा।
उससे फिल्म के डायरेक्टर , प्रोडूसर सब दूर भागने लगे,उसे आदत नहीं थी,वह तो सोच बैठी थी कि, वह हमेशा एसे ही चिर युवा बनी रहेगी ।
तभी एक स्क्रिप्ट आई जिसमें उसे चारित्र अभिनेत्री का किरदार निभाने कहा गया। उसके अहंकार को चोट पहुँची,उसने स्क्रिप्ट को फ़ाड़ दिया, वह आत्म मुग्धा सोच रही थी,सब ..अभी भी,उसके आगे पीछे घूमेंगे ।
मगर समय बीतता गया और कोई नहीं आया।
किसी पार्टी,समारोह में उसे याद तक नहीं किया जाता ।अब वह किसी के लिए भी मायने नहीं रखती थी ।
अवसाद ने, मधुमती को एसे घेरा कि उम्र के पहलें ही वह अत्यधिक बूढ़ी हो गई ,नकारे जाने के कारण एसे सदमा पहुँचा कि मानसिक संतुलन खो बैठी,
अकेले कमरे में संवाद बोलती,नाचती,और गाना गाती रहती।
उसको अब, चारो तरफ शोर सुनाई देता था.... रील!!!,केमरा,!!!एक्शन ..!!!. वो हाँ.!!!.हाँ .!!..हाँ !!!कहती हुई दौड़ लगा देती....,राह चलते किसी भी आदमी को पकड़ लेती थी,आटोग्राफ चाहिये??लाईन में लग जाओ ....जाओ .......पेन लाओ...लाओ...
सब धीरे-धीरे डरने लगे,लोगो ने उसे पत्थर मारना शुरू कर दिया,वह पूरा -पूरा दिन आईना के सामने मेक अप पोतती रहती,वह अब और भी डरावनी लगने लगी थी । समय यूँ ही बीतता गया,
किसी फोटोग्राफर ने उम्रदराज मधुमती की (# काजल लगाते हुए ... # समय को पुरजोर रोकने की नाकाम कोशिश करते हुए.....हम सबकी प्यारी मधुमती ) फोटो इस लाइन के साथ ,अखबार के पेज 3 में प्रकाशित करी ।
अब तक मधुमती को भूल चुके लोग आश्चर्य चकित रह गए ,और ... आज जो भी लाइमलाइट में है, उन सब का भी एक दिन यही हश्र होगा .... इस सत्य से "रू ब रू "भी हो गये।
आनन फानन मे "लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड "देने के लिए मधुमति को खोजना शुरू किया, और उन्होंने जो इतने दिनों तक लोगों का मनोरंजन किया उसके लिए धन्यवाद करने अधीर हो उठे।
मधुमती के काजल लगाते हुए चित्र के साथ टीवी और अखबार में कई जगह उन्हें ढूंढने की कवायद चलती रही मगर वह कहीं नहीं मिली ।
मधुमती की तलाश आज भी जारी है.....
पल्लवी वर्मा
स्वरचित
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रायपुर,(छ .ग)
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