भीमा

भीमा की व्यथा

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Pallavi verma
Pallavi verma 27 Dec, 2019 | 1 min read

शीर्षक -भीमा

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भूखा भीमा , बेतहाशा भारी रिक्शा, इस उम्म्मीद से खीचे जा रहा था ,कि घर में चूल्हा जल सके। उसके पेट में भी ,भूख की अग्नि धधक रही थी।

मुंह सूखा जाता था ।पसीने से तर पोपले मुहँ को मैले गमछे से पोछा, और सारी उम्मीद को अपने बाजुओं में समेट कर रिक्शा खींचने लगा।

आँखो के आगे अँधेरा छा गया,वही औंधे मुहँ गिर पड़ा ।अर्धमूर्छित, भीमा पानी की गुहार लगाता रहा ,दया की भीख मांगता रहा ।

चुनावी,जुलूस जा रहा था,सबने वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर अपलोड किया,..(हेशटेग)# बूढ़ा तड़पता रहा पर कोई मदद नही मिली” !!मौजूदा सरकार हाय-हाय!!

भीड़ संवेदना शून्य, बन, गुजरती रही।

भूखा भीमा,अभी भी परिवार की चिंता में था,उसने रिक्शा पूरी जान लगाकर खींचा ,फिर खींचा ,मगर फिर वही ढेर हो गया ,बिना चिंता के,पड़ा था,पेट और पीठ चिपक कर एक हो चुके थे और वो भी एकाकार हो चुका था ,जुलूस की धूल से .....लगभग विलुप्त सा....

पल्लवी वर्मा

स्वरचित

पल्लवी वर्मा

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