विवाह दो व्यक्तियों के मध्य एक ऐसा पवित्र संबंध है ,जो कि दोनों व्यक्तियों को संबल प्रदान करता है । लेकिन हर बार ऐसा हो जरूरी नहीं।कभी-कभी वैवाहिक संबंध दोनों के लिए बोझ बन जाते हैं। उस समय एक छत के नीचे रहना लगभग असंभव हो जाता है।
तलाक के कारण
वैचारिक मतभेद , जीवन जीवन शैली में भिन्नता असमान पृष्ठभूमि, विवाहेतर संबंध, स्वार्थपरता, विश्वासघात ,आदि तलाक के इनमें से एक से अधिक कारण हो सकते हैं।
तलाक के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?
आजकल की पीढ़ी में सहनशीलता, बहुत कम हो गई है ,इसलिए भी छोटी छोटी सी बातों पर भी तलाक जैसे गंभीर फैसले ले लिए जाते हैं।
संयुक्त परिवार की कमी भी एक कारण हो सकती है ,क्योंकि बड़े बूढ़ों की अनुपस्थिति में पति पत्नी नासमझी में कोई भी फैसला ले लेते हैं।
प्रभाव
बच्चों का भविष्य खतरे में आ जाता है ।वह माता और पिता दोनों का प्रेम नहीं प्राप्त कर पाता ,और कुंठित जीवन जीने को मजबूर हो जाता है।
स्त्री यदि कामकाजी हो तो ठीक नहीं तो उसे बहुत सी आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ता है।
समाज तलाकशुदा औरतों को सम्मान की नजर से नहीं देखता
पुरुष भी मानसिक रूप से कमजोर होकर अवसाद से घिर जाते हैं।
तलाक के प्रकार
1*आपसी समझौते से तलाक
2*कंटेस्टेड तलाक
तलाक की प्रक्रिया
आपसी सहमति से तलाक की याचिका पारिवारिक न्यायालय में या जिला अदालत में लगाई जाती हैं । जबकि यदि कोई एक पक्ष तलाश चाहता है, तो इसके लिए वह वकील की मदद से अदालत में याचिका दायर करता है और अदालत तलाक की नोटिस दूसरे पक्ष को भेजती है।
तलाक की प्रक्रिया 18 से 24 महीनो मे तलाक पूर्ण होती है,यदि इस बीच तलाक की याचिका वापस ले ली जाय तो तलाक की प्रक्रिया रोक दी जाती हैं ।
सबसे पहले दोनों पक्षों को परामर्श दी जाती है कि वह एक बार पुनः विचार कर ले और अपनी शादी को एक मौका दे। इसके लिए उन्हें 6 महीने का समय दिया जाता है, दोनों पक्ष चाहे तो यह समय बढ़ाया भी जा सकता है,मगर फिर भी दोनों पक्ष तलाक चाहते हो तो उन्हें तलाक की मंजूरी दे दी जाती है।
दो महत्वपूर्ण विषय मेंटेनेंस और चाइल्ड कस्टडी पर विचार करने के बाद फैसला दिया जाता है जिसे दोनों पक्षों को स्वीकार करना होता है।
धन्यवाद
पल्लवी वर्मा
स्वरचित
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