तेरी याद

कह दूँ या नहीं

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Pallavi verma
Pallavi verma 17 Feb, 2020 | 0 mins read

महुआ अपनी नाम की ही तरह थी,उसकी नशीली आंखे अंशुमन के दिन का चैन,रात की नींदे,और बेफिक्री की शाम सब कुछ छी न चुकी थी और उसे चित्रकारी पर मजबूर कर रही थी ।

पर, फ़िर भी वह अपनी मन की बात बता नहीं पा रहा था।

वो एक दिन टकराई,और कहा

मेरा ट्रांसफर हो गया है!तुम सोचते ही रह जाओ मै चली।

अंशुमन की आँख भर गई ,वो अवाक खड़ा रहा।

महुआ बोली,वैसे,ना कहकर तुमने बहुत अहसान किया,कह देते तो कल जा नहीं पाती।मेरा नंबर लो कुछ समय बाद भी भुला ना पाओ तो कह देना।

महुआ! इन आँखो के सिवा कुछ नहीं सूझता,..............कब फ़ोन करूँ? ये बताने। अंशुमन बुदबुदाया।

महुआ शर्मा कर मुस्करा दी ।

बोली फोन का इंतजार रहेगा ।

पल्लवी वर्मा

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