सुबह की किरण मयूरी के चेहरे पर पड़ रही थी, नील अब भी उसे निहार रहा था ,वह इस ओज की प्रतिस्पर्धा को मन्त्र मुग्ध होकर देख रहा था कि मयूरी ने अपनी सागर जैसी आंखे खोली,और बिना बचाव नील, इन गहराईयों में खो गया।
मयूरी इन एक जोड़ी आँखो से खुद को बचाने बापस रेशमी बिस्तर की, स्निग्धता में विलुप्त हो गई,नील के मिन्नतो पर वह फिर बादलो से चांद जैसे बाहर निकली,और समा गयी नील की मजबूत बहुपाश में ।
अरुणाचल प्रदेश की वादियों में दो प्रेमी युगल खो गये थे,उन दोनों के लिए समय जैसे रुक गया था वे अपनी शादी के तुरंत बाद की सपनीली, यात्रा में थे।
लगभग पांच दिन हो चुके थे,आज फिर वे दोनो सुबह सुबह घूमने निकले थे। बांसुरी की मीठी सी धुन बजाते गरडिये के पास ही बैठे थे की मयूरी का फोन बजा, वह नील ,को वही छोड़ कुछ दूर खड़ी हो बात करने लगी थोड़ी देर बाद नील का ध्यान गया,मयूरी की आँखे बात करते हुए बार बार भींग रही थी,नील फुर्ती से उठा और फ़ोन अपने हाथ में ले लिया ।
सामने से आवाज़ आ रही थी बिटिया दामाद को परेशान नहीं करना,ज़रूरी नहीं होता तो तुझे भी नहीं बताते ,नई नई शादी हुई है,तेरी ।
प्रणाम मम्मी मै नील अर्रे! दामाद बाबू आप!
जी मै !क्या हुआ ?मयूरी क्यो रो रही है?
अरे !बेटा उसकी दादी ICU में एडमिट है ।
डॉक्टर ने कहा कि घर ले जाओ कोई उम्मीद नहीं है वो, लगातार मयूरी का नाम ले रही है ,वीडियो कॉलिंग करना था।
आप लोग फ्री नही है तो हम बाद में लगा लेंगे, नील ने कहा मै लगाता हूँ ।
वीडियो कॉल मे मयूरी को दोनो हाथ उठा कर आशीर्वाद दे रही थी,और उसको फ़ोन पर ही चूमने का असफल प्रयास कर रही थी, उस समय मयूरी एकदम बछड़े के समान छटपटा रही थी,कुछ देर बात कर फ़ोन रख दिया गया ।
मयूरी का चेहरा शाम की धूप जैसा फीका पड़ गया था ।
नील ने उसका हाथ पकड़ कहा क्या है मन में, कहो ना ।
ना! कुछ भी नहीं ।
अच्छा ! दादी के जीवन की माला टूट रही है,सांसो के मनके बिखर रह्रे है और तुम कह रही हो कुछ नहीं ।
कल को मेरे परिवार के लिए भी यही मह्सूस करोगी,जब खुद के परिवार के लिए यह सोच है तुम्हारी ।
बिना आवाज़ होंठ हिले … नही वो मेरा परिवार था ,जो अब पराया हो चुका,अब आपका परिवार ही मेरा ,परिवार है ।
कुछ देर की खामोशी के बाद नील बोला….ईश्वर ना करे दादी जी नही रही…ये फ़ोन आए तो पराई हो चुकी दादी के लिए दुख नही होगा है ना!
मयूरी अगले पाँच मिनिट तक बिलख -बिलख कर रोती रही,नील संभालते हुए एयर टिकिट बुक कराता रहा ।
तभी मयूरी के फोन में एक मैसेज आने की आवाज सुनाई दी।
मयूरी का दिल ज़ोरो से धड़कने लगा,वो घबराई हुई मैसेज पढ़ने लगी,कही कोई बुरी खबर तो नहीं ।
पर यह क्या ये तो टिकिट बुकिंग का मैसेज है उसका और नील का .. उसके ही शहर जयपुर का ।
वो नील से लिपट कर काफ़ी देर सिसकती रही।
नील ने कहा चलो जाने के पहले सेल्फी ले ले।,सेल्फ़ी ली गई।
उसने मयूरी के चेहरे को हाथों मे पकड़ कर कहा “ मै चाहता हूँ कि जीवन के हर उतार चढ़ाव में हम दोनो एक दूसरे का साथ यूँ ही निभायेंगे ,जैसे तुम मेरी अर्धांगनी हो मेरा परिवार तुम्हारा है वैसे ही मै भी तुम्हारा अर्धांग बनूँगा, अब हमारे, इस संसार को हम दोनों आधा मेरी आँखो से तो आधा तुम्हारी आँखो से देखेंगे ।
नील ने गरडिये को आवाज़ दी और एक फोटो खीचने कहा।दोनो ने एक दूसरे की एक- एक आँख बंद की अब एक जोड़ी आँखें थी इस जोड़े के पास ,और नज़रिया भी एक ही था।
शिव पार्वती के अर्धनारीश्वर रूप की मानवीय प्रतिरूप।
अगर वे दोनो पृथ्वी में विचरण को निकले तो इस जोड़े को देख ज़रूर प्रसन्न होंगे।
पल्लवी वर्मा
स्वरचित
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