आर्थिक स्वतंत्रता के लिए महिलाएं आवश्यक एजूकेशन और ट्रेनिंग तो ले लेती है , लेकिन जब उनकी नियुक्ति किसी कार्यालय में होती है , तब बहुत तरीकों से उनका मानसिक और शारीरिक शोषण किया जाता है, यह शोषण वे दबाव के कारण चुपचाप सहने को मजबूर हो जाती है ।
उनके साथ अश्लील ,असभ्य व्यवहार किया जाता है। कभी उन्हें ब्लैकमेल करके, कभी रोजगार दिलाने के नाम पर ,कभी अतिरिक्त आय के नाम पर ,तो कभी प्रमोशन के नाम पर।
इन पीड़ित महिलाओं के लिए संरक्षण हेतु एक अधिनियम पारित किया गया है
कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 में प्रत्येक महिला के इस अधिकार को मान्यता दी गई है कि उसे नियोजन/कार्य स्थिति को ध्यान में रखे बिना कार्यस्थल पर सुरक्षित और संरक्षित वातावरण प्राप्त हो ।
कौन शिकायत कर सकता है ?
कोई भी नियमित और अनियमित महिला कर्मचारी ।
घरेलू नौकरानी,डेली वेतन पाने वाली महिलाएं ।
संस्था में काम करने वाली महिलाएं।
कोई भी महिला किसी भी कार्य क्षेत्र में पीड़ित हो रही हो वह ,शिकायत दर्ज करा सकती है ।
कौन शिकायत दर्ज करेगा
सम्पर्क अधिकारी जैसे कोई भी जिला अधिकारी, नोडल अधिकारी,स्थानीय शिकायत समिति सदस्य आदी नियुक्त किये जाते है।
पीड़िता शी बॉक्स में जाकर ऑनलाइन भी शिकायत दर्ज कर सकती है ।
अवधि
तीन महीने के अंदर शिकायत दर्ज करा सकती है । जिसका नब्बे दिनो के भीतर निवारण किया जाता है ।
सुलह का प्रावधान है ,किंतु केवल महिला के चाहने पर ही।
फ़िर भी प्रत्येक महिला को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग लेनी चाहिए ।
और समय के पूर्व ही इरादे भांप कर शिकायत कर देनी चाहिए।
धन्यवाद ।
पल्लवी वर्मा
स्वरचित
कार्यस्थल पर महिलाओं का शोषण
#Ichallengeyou article # 3 कार्य स्थल पर महिलाओं की सुरक्षा
Originally published in hi
Pallavi verma
12 May, 2020 | 1 min read
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